इंडिया गेट पर जल रही ‘अमर जवान ज्योति’ का होगा ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ में विलय! सरकार ने बताया कारण

इंडिया गेट के पास स्थापित नेशनल वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में फैला है। युद्ध स्मारक में 26,000 से अधिक भारतीय सैनिकों के नाम हैं, जो स्वतंत्र भारत के हुतात्मा हो गए थे।

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पिछले 50 साल से नई दिल्ली के इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति का 21 जनवरी को राष्ट्रीय स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही हैं। इस बीच सरकार ने इस मामले में स्तिथि साफ कर दी है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमर जवान ज्योति की लौ बुझ नहीं रही है बल्कि इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलिन किया जा रहा है।

सरकार ने इस बारे में स्पष्ट करते हुए कहा है कि 1971 और उसके पहले तथा बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय हुतात्माओं के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित हैं। इस स्थिति में वहां हुतात्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। सरकार ने कहा है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हमारे हुतात्माओं को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि दिए जाने पर आपत्ति जता रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने किया था उद्घाटन
बता दें कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था। अब 21 जनवरी को एक कार्यक्रम में इंडिया गेट पर 50 वर्ष से जल रही अमर जवान ज्योति को भी उसमें विलिन कर दिया जाएगा। इस अवसर पर गणतंत्र दिवस समारोह से पहले प्रधानमंत्री सैन्य अधिकारियों के साथ युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करेंगे।

40 एकड़ में फैला है राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
 इंडिया गेट के पास बना नेशनल वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में फैला है। युद्ध स्मारक में 26,000 से अधिक भारतीय सैनिकों के नाम हैं, जो स्वतंत्र भारत के हुतात्मा हो गए थे। यहां एक राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय भी है। इस स्मारक में चार चक्र हैं। इनमें सबसे अंदर अमर चक्र है, जिसमें 15.5 मीटर ऊंचा स्तंभ बनाया गया है। इसी स्तंभ में अमर ज्योति जल रही है, जो हुतात्माओं की आत्मा की अमरता का प्रतीक है। यद स्मारक 176 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ था।

कांग्रेस ने किया विरोध
कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। पार्टी सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर इसका विरोध करते हुए लिखा है कि यह सरकार संसद में या बाहर लोकतांत्रिक परंपरा और स्थापित परंपरा का सम्मान नहीं करती है। अमर जवान ज्योति को 50 सालों में जो पवित्रता प्राप्त हुई थी, उसे यह सरकार हल्के में ले रही है।

1971 में हुई थी अमर जवान ज्योति की स्थापना
अमर जवान ज्योति की स्थापना 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान हुतात्मा हुए भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी। इस युद्ध में भारत की जीत के बाद बांग्लादेश की स्थापना हुई थी। स्मारक का उद्घाटन तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को किया था।

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