इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद इन दिनों फिर चर्चा में है। इसका कारण यह है कि कुछ दिनों पहले ही ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक डॉ. मोहसिन फखीरजादेह की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। ईरानी सरकार का आरोप है कि वैज्ञानिक की हत्या मोसाद ने कराई है। सरकार के साथ ही ईरानी सेना के कई अधिकारियों ने भी इसमें इजरायल की खुफिया एजेंसी का हाथ बताया है। वहां के एक पत्रकार ने तो मोसाद के पूरे मिशन को विस्तार से साझा किया है। उसने वैज्ञानिक की हत्या में मोसाद के 12 हमलावरों का हाथ बताया है। उसके मुताबिक हमलावरों ने ईरानी वैज्ञानिक को बुलेटप्रूफ कार से उतारकर गोली मारकर हत्या कर दी।
विश्व की सबसे तेज खुफिया एजेंसी मानी जाती है मोसाद
मोसाद के बारे में कहा जाता है कि वह कभी भी अपने मिशन में फेल नहीं होता। मोसाद ने कई ऐसे मिशन को अंजाम दिया है, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल है। अब तक के उसकी सफलता का ट्रैक रिकॉर्ड काफी प्रेरक रहा है। इस वजह से अमेरिका और भारत समेत दुनिया की कई खुफिया एजेंसियां मोसाद का लोहा मानती हैं और उसके साथ ट्रेनिंग तथा कई सिक्रेट मिशंस को अंजाम देती हैं। भारत अपनी खुफिया एजेंसी में काम करनेवाले अधिकारियों की ट्रेनिंग तक इजरायल खुफिया एजेंसी के साथ करवाता है।
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ऑपरेशन थंडरबोल्ट
27 जून 1976 को इजरायली यात्रियों से भरी फ्रांस के यात्री विमान को अरब के आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। तब मोसाद ने अपनी ताकत और बुद्धिमानी के दम पर हजारों किलोमीटर दूर स्थित देश से अपने 94 नागरिकों को सुरक्षित निकाल लाया था। युगांडा के एतेंबे हवाई अड्डे पर मोसाद के ऑपरेशन को पूरी दुनिया में सबसे सफल हाईजैकर्स मिशन माना जाता है। इस ऑपरेशन में वर्तमान में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई जोनाथन नेतन्याहू भी शामिल हुए थे। हालांकि उस ऑपरेशन के दौरान गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी।
रुसी मिग-21 लड़ाकू विमान की चोरी
60 के दशक में अगर कोई लड़ाकू विमान सबसे आधुनिक और तेज था तो वो था मिग 21। अगर कहा जाए कि अमेरिका भी इससे डरता था तो शायद कुछ गलत नहीं होगा। इस विमान को पाने में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए भी असफल हो गई थी। उसके बाद यह जिम्मेदारी मोसाद को सौंपी गई थी। पहली कोशिश में पकड़े जाने के बाद दिसंबर 1962 में मोसाद के एक एजेंट को मिस्र में फांसी दे दी गई थी। मोसाद ने दूसरी कोशिश इराक में की, लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा। 1964 में मोसाद की महिला एजेंट ने एक इराकी पायलट को इस विमान को इजरायल लाने के लिए मना लिया था।
इजरायली टीम ने हत्यारों को ढूंढ़कर मारा
1972 में म्यूनिख ओलिंपिक में इजरायली टीम के 11 खिलाड़ियों की हत्या कर दी गई थी। इनके हत्यारों को मोसाद ने कई देशों से ढूंढ़-ढूंढ़कर मौत के घाट उतार दिया था। इजरायली खिलाड़ियों की हत्या का आरोप ब्लैक सेप्टेबंर और फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन पर लगी थी। मोसाद की लिस्ट में 11 आतंकी थे, जो म्यूनिख में इजरायली खिलाड़ियों की हत्या के बाद अलग-अलग देशों में जाकर छिप गए थे। लेकिन 2010 में मोसाद ने 10 साल के ऑपरेशन में सभी आतंकियों को खोजकर सफाया कर दिया। कहा जाता है कि उसने प्रत्येक आतंकियों को 11-11 गोलियां मारी थीं।
अर्जेंटीना में दिया खतरनाक मिशन को अंजाम
मोसाद ने अर्जेंटीनी में 11 मई 1960 को एक ऐसे मिशन को अंजाम दिया, जिसकी गूंज पूरे विश्व में सुनाई दी। यह मिशन इतना सिक्रेट था कि अर्जेंटीना की सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी। मोसाद नाजी युद्ध अपराधी ए़डॉल्फ एकमैन का अपहरण कर इजरायल ले गया। उसके बाद उसे यहूदियों के खिलाफ किए गए अत्याचार के लिए मुकदमा चलाकर सजा दी गई। इस मिशन को इजरायल के पांच एजेंटो ने अंजाम दिया था।
यासिर अराफात के करीबी को परिवार के सामने मारीं 70 गोलियां
मोसाद ने फिलिस्तिन के प्रसिद्ध नेता रहे यासिन अराफात के दायां हाथ माने जानेवाले खलील अल वजीर को ट्यूनिशिया में उसके परिवारवालों के सामने ही गोलियों से भून डाला था। खलील को अबू जिहाद के नाम से जाना जाता था। यह फिलीस्तीन के आतंकी संगठनों का मुखिया माना जाता था। इसके इशारे पर इजरायल में कई हमले भी हुए थे। इस मिशन को मोसाद के 30 एजेंट्स ने अंजाम दिया था। ये एजेंट एक-एक कर टूरिस्ट बनकर ट्यनिशिया पहुंचे थे।