Indian Army: दुनिया का पहला पोर्टेबल अस्पताल 15 हजार फीट की ऊंचाई पर पैराड्रॉप, जानिये क्यों है खास

भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना ने  को 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया के पहले पोर्टेबल अस्पताल को पैराड्रॉप करके इतिहास रच दिया।

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Indian Army: भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना ने  को 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया के पहले पोर्टेबल अस्पताल को पैराड्रॉप करके इतिहास रच दिया। स्वदेशी रूप से निर्मित इस अस्पताल का यह अपनी तरह का पहला पैराड्रॉप है। भारतीय वायु सेना ने क्यूब को एयरलिफ्ट करके सटीक रूप से पैरा-ड्रॉप करने के लिए अपने उन्नत सामरिक परिवहन विमान सी-130जे सुपर हरक्यूलिस का उपयोग किया।

स्वदेशी रूप से विकसित
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इन क्रिटिकल ट्रॉमा केयर क्यूब्स को ‘भारत स्वास्थ्य पहल सहयोग हित और मैत्री’ प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। यह परीक्षण मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच को आसान बनाने और महत्वपूर्ण आपूर्ति प्रदान करने के विजन के अनुरूप किया गया। वायुसेना और थलसेना ने संयुक्त रूप से 15 हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्र में आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब का पहली बार सटीक पैरा ड्रॉप परीक्षण किया है। ट्रॉमा केयर क्यूब के सफल पैरा-ड्रॉप परीक्षण और तैनाती ने सशस्त्र बलों की तालमेल और संयुक्तता का उदाहरण पेश करके समय पर प्रभावी सहायता देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

विमान सी-130जे सुपर हरक्यूलिस का उपयोग
भारतीय वायुसेना ने क्यूब को एयरलिफ्ट करके सटीक रूप से पैरा-ड्रॉप करने के लिए अपने उन्नत सामरिक परिवहन विमान सी-130जे सुपर हरक्यूलिस का उपयोग किया। भारतीय सेना की पैरा ब्रिगेड ने अपने उन्नत सटीक ड्रॉप उपकरणों का उपयोग करके ट्रॉमा केयर क्यूब की सफल तैनाती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रदर्शन ने सबसे दूरस्थ एवं पहाड़ी क्षेत्रों में भी एचएडीआर कार्यों का प्रभावी ढंग से समर्थन करने के लिए ऐसी विशेष सैन्य संपत्तियों की क्षमता साबित की।

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भारत सरकार की एक क्रांतिकारी पहल
आरोग्य मैत्री भीष्म क्यूब भारत सरकार की एक क्रांतिकारी पहल है, जो वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह एक अत्याधुनिक पोर्टेबल क्यूब है, जिसमें चिकित्सा संबंधी आवश्यक वस्तुएं हैं, जिसे आपातकालीन और आपदा क्षेत्रों में तेजी से तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। इसके मॉड्यूलर डिजाइन और उपयोग में आसानी के कारण, भीष्म क्यूब को हवा, समुद्र, ज़मीन या ड्रोन से ले जाया जा सकता है, जिससे सबसे दूरदराज के स्थानों पर भी समय पर चिकित्सा सहायता सुनिश्चित होती है।

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