Indian Army: दुश्मन देशों पर रखी जाएगी पैनी नजर, देश के ‘इन’ तीन शहरों में बनेंगे सेना से कमांड थिएटर

तीनों सेनाओं के सशस्त्र बल कर्मियों के बीच अधिक एकजुटता के लिए पिछले साल नया सैन्य कानून लागू होने के एक साल बाद अब थिएटर कमांड बनाने का रास्ता साफ हो गया है।

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Indian Army: तीनों सेनाओं के सशस्त्र बल कर्मियों के बीच अधिक एकजुटता के लिए पिछले साल नया सैन्य कानून लागू होने के एक साल बाद अब थिएटर कमांड बनाने का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने लखनऊ, जयपुर और तिरुवनंतपुरम को मुख्यालय के रूप में चुना है। जयपुर में वेस्टर्न थिएटर, लखनऊ में उत्तरी थिएटर और तिरुवनंतपुरम में मैरीटाइम थिएटर की स्थापना की जाएगी।

तीन शहरों का चयन
इनके गठन प्रक्रिया में रक्षा मंत्रालय ने लखनऊ, जयपुर और तिरुवनंतपुरम में तीन स्थानों को उनके मुख्यालय के रूप में चिह्नित किया है। सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) की योजना के अनुसार पाकिस्तान की तरफ निगरानी के लिए पश्चिमी थिएटर जयपुर में स्थापित करने की योजना है। पूर्वी और उत्तरी छोर पर खतरे से मुकाबले के लिए उत्तरी थिएटर लखनऊ में बनाये जाने की योजना है। भारतीय नौसेना के नेतृत्व वाली समुद्री थिएटर कमान केरल के तिरुवनंतपुरम में बनेगी, जो देश की समुद्री सीमाओं और समुद्री क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले खतरों की देखभाल करेगी।

सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाना उद्देश्य
सैन्य मामलों का विभाग तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से 150 से अधिक बिंदुओं को लागू करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि संयुक्त संस्कृति और कार्य नीति बनाई जा सके। इसमें एक सामान्य कार्य करने के लिए तीनों सेनाओं की विभिन्न मानक संचालन प्रक्रियाओं को एकीकृत करना शामिल है। देश के पहले सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत के समय थिएटर कमांड का निर्माण कठिन काम के रूप में देखा गया था लेकिन मौजूदा सीडीएस और तीनों सेनाओं ने सभी मुद्दों को हल करने के लिए आम सहमति का रास्ता अपनाकर थिएटर कमांड का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया।

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सरकार एजेंसियों को भी मिलेगा सहयोग
सीडीएस के साथ तीनों थिएटर कमांड को भविष्य में चुनौतियों का सामना करने में साइबर कमांड, स्पेस कमांड और सशस्त्र बल विशेष संचालन प्रभाग जैसी एजेंसियों का पूरी तरह से समर्थन मिलेगा। मौजूदा समय में वैश्विक सुरक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक व्यवस्था डांवाडोल हालत में है। यूरोप में जंग, हमारी उत्तरी सीमाओं पर चीनी सेना की निरंतर तैनाती और हमारे निकट पड़ोस में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल की घटनाएं भारतीय सेना के लिए एक अलग तरह की चुनौती पेश कर रही हैं। भारत की सेनाएं एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर हमारे दावों की वैधता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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