भारतीय सेना के जवानों की वर्दी में बदलाव किया जा रहा है। 15 जनवरी को सेना दिवस परेड के दौरान सैनिकों की नई लड़ाकू वर्दी का पहली बार प्रदर्शन किया जाएगा। मेक इन इंडिया नीति के तहत भारतीय सेना और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) ने संयुक्त रूप से इस सैन्य वर्दी का निर्माण किया है। इसे डिजिटल मॉडल पर आधारित डिजाइन को अलग-अलग क्षेत्रों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। सैनिक इस वर्दी में सहज महसूस करें, इसका पूरा ध्यान रखा गया है।
क्या यह वर्दी बाजार में उपलब्ध होगी?
इस सवाल का जवाब नहीं है। सैनिकों की वर्दी के लिए नए डिजाइन के वस्त्र खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होंगे और अधिकारियों तथा सैनिकों को उनकी यूनिट्स में दिए जाएंगे। इस बीच, सरकार की योजना निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र की कंपनियों के लिए खुली निविदाएं जारी करने की है ताकि कम से कम 13 लाख भारतीय सैनिकों को वर्दी की आपूर्ति की मांग को पूरा किया जा सके। ये कंपनियां इन नई बैटल ड्रेस यूनिफॉर्म (बीडीयू) की आपूर्ति करेंगी।
बाजार में नहीं मिलेगी वर्दी
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ”सुरक्षा कारणों से नए डिजाइन की यूनिफॉर्म खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होगी।” इसका मतलब यह है कि कंपनियों की निविदाओं को स्वीकृति मिलने के बाद उन्हें अलग-अलग आकार की वर्दी के लिए ऑर्डर दिया जाएगा। इसके बाद वर्दी भारतीय सेना की विभिन्न यूनिट्स को भेजी जाएगी और वहां खरीदी जा सकेगी।
कपड़े की खासियत
रक्षा मंत्रालय विभिन्न जलवायु परिस्थितियों और इलाके को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना की वर्दी बदलने की योजना बना रहा है। अत्यधिक गर्मी और शून्य तापमान पर टेरीक्लॉथ कपड़े सैनिकों के लिए आरामदायक नहीं हैं। इसलिए, अब नए चुने गए कपड़े के मजबूत और हल्के होने की संभावना है क्योंकि इससे सैनिकों को आराम मिलेगा। इस बीच कपड़ों का रंग पहले जैसा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
तीन बार बदली जा चुकी है वर्दी
सेना की वर्दी अब तक तीन बार बदली जा चुकी है। आजादी के बाद पहली बार भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों की वर्दी में बदलाव किया गया। फिर 1980 में एक और बदलाव किया गया और इसे बैटल ड्रेस नाम दिया गया। अंतिम बदलाव 2005 में, सरकार ने सीआरपीएफ और बीएसएफ की आर्मी डीपी बैटल ड्रेस को अलग करने के लिए वर्दी बदलाव किया।