केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने कहा कि भारत आज रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों (technologies) से सुसज्जित है। उन्होंने कहा, अतीत के विपरीत, हमारे सशस्त्र बल ड्रोन (drone), हेलिबोर्न ऑपरेशन और यूएवी सहित उन्नत हथियारों से सुसज्जित हैं और क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा जैसी नई सीमाओं के लिए तैयार हैं।
क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले देशों में भारत
डॉ. जितेंद्र सिंह नई दिल्ली में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) द्वारा आयोजित भारतीय सैन्य विरासत समारोह (Indian Military Heritage Ceremony) को संबोधित कर रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा, भारत नई नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अग्रणी देशों के समकक्ष है, जिनमें रक्षा परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। यह न केवल देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाती है बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक प्रौद्योगिकी के अग्रणी देश के रूप में भी स्थापित करती है। उन्होंने कहा, ”यह अतीत की बात है जब हमारी सेनाएं पुराने अस्त्रों का उपयोग करती थीं। हम विश्व के उन सात विशिष्ट देशों में से हैं जो क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”इस दृष्टिकोण के साथ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष मार्च में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया।”
लगातार विकसित हो रही हैं नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियां
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ये नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियां निरंतर विकसित हो रही हैं और सैन्य अभियानों पर उनका प्रभाव बढ़ता रहेगा। आधुनिक युग में सैन्य प्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाना और उनका उपयोग करना आवश्यक होगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषणों का प्रश्न है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में यह भारत के लिए सबसे अच्छा समय है। चंद्रयान-3, आदित्य एल1 और कोविड टीकों की सफलता गाथाओं ने भारत की छवि में बड़े बदलाव लाने में योगदान दिया है।
क्वांटम टेक्नोलॉजीज पर काम कर रहा ‘आई-हब क्वांटम’
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, पुणे के आईआईएसईआर में स्थापित ‘आई-हब क्वांटम’, क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है और परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन उपकरण विकसित कर रहा है; आईआईटी मद्रास में टीआईएच, अर्थात् आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन रक्षा कर्मियों के लिए एक सुरक्षित मोबाइल फोन विकसित करने पर काम कर रहा है; आईआईटी रूड़की में टीआईएच, अर्थात् आईहब दिव्य संपर्क आईडीआर डूट एमके-1 की सहायता कर रहा है, जो आतंकवादी/अराजकता विरोधी और रूम इंटरवेंशन ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की मदद के लिए भारत का पहला स्वदेशी नैनो ड्रोन है; पुणे के आईआईएसईआर में स्थापित आई-हब क्वांटम परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन उपकरणों को विकसित करने वाली क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है; आईआईटी मंडी में टीआईएच अर्थात् ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआई) फाउंडेशन नेवल कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) विकसित कर रहा है, आईआईएससी बेंगलुरु में टीआईएच ऑटोमेशन सिस्टम आदि के सटीक नियंत्रण के लिए समेकित रोबोटिक ज्वाइंट एक्चुएटर्स विकसित कर रहा है।
यह भी पढ़ें –Cyclone में बदल जाएगा समुद्र तल पर बना निम्न दबाव,
Join Our WhatsApp Community