जम्मू-कश्मीर सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद पीड़ितों के परिजनों से संबंधित वैधानिक नियामक आदेश (एसआरओ)-43 के तहत लंबित 2,000 नियुक्ति मामलों को निपटाने का फैसला लिया है।
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में वैधानिक नियामक आदेश (एसआरओ) को जम्मू-कश्मीर विशेष भर्ती नियम 2015 के रूप में भी जाना जाता है। अधिकारियों ने कहा कि यह एक बड़ा फैसला है, जिससे 2,000 युवाओं की नियुक्तियों को एसआरओ-43 के तहत अब मंजूरी मिल जाएगी। एसआरओ-43 उग्रवाद पीड़ितों के परिजनों के लिए सरकारी सेवा में अनुकंपा नियुक्तियों, सीमा पर गोलाबारी और युद्ध में मारे गए सरकारी कर्मचारियों की मौत के मामलों से संबंधित है। सरकार ने ऐसी नियुक्तियों के लिए नई नीति पर अमल करने से पहले अब तक लंबित लगभग 2,000 नियुक्तियों के बैकलॉग को एसआरओ 43 के तहत साफ़ करने का निर्णय लिया है।
नौकरी के पात्र
एसआरओ के तहत युद्ध, उग्रवाद या सीमा पर गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजन सरकारी नौकरी के लिए पात्र थे। अधिकारियों ने कहा कि 1 जनवरी, 2023 से लागू हुई नई नीति के तहत ऐसे पदों के लिए योग्यता-आधारित मानदंड अपनाया गया है। इसके तहत केवल उन लोगों को सरकारी नौकरी मिलेगी, जो मानदंडों में आते हैं, जबकि अन्य को मुआवजे की एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाएगा।
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2000 रिक्तियों की पहचान
एसआरओ-43 के तहत विभिन्न विभागों में 2000 रिक्तियों की पहचान की गई है, जिनमें से ज्यादातर चतुर्थ श्रेणी में हैं। इस फैसले से 2,000 युवाओं को नौकरियां मिलेंगी और उग्रवाद, सीमा पर गोलीबारी के पीड़ितों और मृत सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को भी बड़ी राहत मिलेगी, जो लंबे समय से अनुकंपा नियुक्तियों का इंतजार कर रहे थे।