5जी स्पेक्ट्रम नीलामी: सरकार को मिला 1.5 लाख करोड़ रुपये राजस्व

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देश में हाई स्पीड की इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के लिए 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सात दिन बाद सोमवार को समाप्त हुई। 5जी एयरवेव्स की नीलामी से सरकार को 1,50,173 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। इसके लिए रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और अडाणी समूह की कंपनी अडाणी डेटा नेटवर्क्स ने बोली लगाई है। अब सरकार कंपनियों को 15 अगस्त से पहले 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन करेगा।

5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए 7 दिन में कुल 40 राउंड की बोलियां लगाई गई। टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी समाप्त होने पर सरकार को 150, 173 करोड़ रुपये (1.5 ट्रिलियन रुपये) राजस्व मिला, जो आखिरी दिन 43 करोड़ रुपये रहा। स्पेक्ट्रम के लिए रिलायंस जियो ने सबसे अधिक 80 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगाई। इसके बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और अडाणी समूह का स्थान रहा है।

सरकार ने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने के साथ ही आय का पिछला रिकॉर्ड पार कर लिया है। नीलामी से अर्जित राशि सरकार की अपेक्षा से कहीं ज्यादा है। यह साल 2010 के बाद 2015 में 4जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले 113,932 करोड़ रुपये से बेहतर है।

दूरसंचार विभाग ने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में 4.3 लाख करोड़ रुपये के 72 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ब्लॉक को नीलामी के लिए रखा था। इसकी वैलिडिटी 20 साल की होगी। देश में 5जी सर्विस आने से इंटरनेट की गति 4जी के मुकाबले करीब 10 गुना ज्यादा हो जाएगी। 5जी स्पेक्ट्रम के लिए चार प्रमुख दूरसंचार मोबाइल कंपनियों ने 21,800 करोड़ रुपये बतौर धरोहर राशि जमा कराई है।

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अत्यधिक उच्च गति की इंटरनेट सेवा देने में सक्षम 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी छह दिन पहले शुरू हुई थी। पिछले छह दिनों में 1,50,130 करोड़ रुपये की बोलियां मिली थी, जबकि रविवार को आयोजित सात नए दौर की बोली में 163 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी। सरकार को स्पेक्ट्रम की पहली नीलामी से करीब एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी, जबकि कुल 4.3 लाख करोड़ रुपये के 72 गीगाहर्ट्ज नीलामी के लिए रखे गए थे।

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