महाराष्ट्र में 75 लाख लोगों ने किया ‘बाहुबली’ बनने से इनकार! जानें, क्या हैं कारण

मुंबई में सबसे अधिक 98 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है। इसके बाद पुणे में 93 प्रतिशत, भंडारा में 91 प्रतिशत और सिंधुदुर्ग में 88 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है।

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पूरे देश के साथ ही महाराष्ट्र में भी कोरोना से राहत मिलती दिख रही है। इसका सबसे बड़ा कारण तेजी से चलाए जा रहे  टीकाकरण अभियान को माना जा रहा है। लेकिन हैरत के साथ ही चिंता की बात यह है कि प्रदेश के 75 लाख लोगों ने कोरोना के टीकाकरण का वरदान लेने से मना कर दिया है। वे खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें कोरोना संक्रमण को लेकर कोई डर-भय नहीं है। सरकार के सामने ऐसे लापरवाह लोगों को पकड़कर कोरोना का टीका लगाना एक बड़ी चुनौती है।

केवल 32 प्रतिशत लोगों को दोनों डोज
राज्य में अब तक टीकाकरण की कुल संख्या 9 करोड़ 72 लाख है। लेकिन इनमें से केवल 32 प्रतिशत को ही दूसरी खुराक का टीका लगाया जा सका है। इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन टीकाकरण को लेकर चिंतित है। कई मामलों में देखा गया है कि टीका की दूसरी डोज का समय आ जाने के बाद भी लोग टीका लगवाने नहीं आए। राज्य के 18 जिलों में दोनों डोज लेने वाले लोगों का अनुपात 25 प्रतिशत से भी कम है।

टीकाकरण में मुंबई अव्वल
मुंबई में सबसे अधिक 98 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है। इसके बाद पुणे में 93 प्रतिशत, भंडारा में 91 प्रतिशत और सिंधुदुर्ग में 88 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है। मुंबई ऐसे लोगों के मामले में पहले स्थान पर है, जिन्होंने दोनों खुराकें ले ली हैं। देश की आर्थिक राजधानी में 58 प्रतिशत लोगों को दोनों टीके लग गए हैं। इसके बाद पुणे में 50 प्रतिशत, भंडारा में 45 प्रतिशत और सिंधुदुर्ग में 47 प्रतिशत लोगों को दोनों टीके लगाए जा चुके हैं।

जिला प्रशासन की बढ़ी चिंता
वर्तमान में, राज्य में लगभग 60 लाख लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन का टीका लगाया गया है, जबकि लगभग 15 लाख लोगों को कोवैक्सीन का टीका लगाया गया है। वर्तमान में राज्य में 56 लाख से अधिक टीकों का भंडार है। लेकिन अब नागरिक दूसरी खुराक के लिए केंद्र पर नहीं आ रहे हैं। इस कारण जिला प्रशासन के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि उनका टीकाकरण कैसे पूरा किया जाए।

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कई तरह के भ्रम
टीके को लेकर अभी भी लोगों में कई तरह के भ्रम हैं। गंभीर रूप से बीमार लोगों को लगता है कि उन्हें कोरोना का टीका नुकसान पहुंचा सकता है। इसके साथ ही कुछ लोगों को इससे नुकसान पहुंचने का डर भी लगता है। साथ ही धार्मिक कारण और अन्य तरह के पर्वाग्रह भी इसके कारण हैं। टीका नहीं लेने का एक बड़ा कारण लोगों की लापरवाही भी है। बहुत से लोगों को लगता है कि अब कोरोना खत्म हो गया है इसलिए टीका लगवाने की कोई जरुरत नहीं है।

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