गुजरात में लगातार बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामलों को लेकर अहमदाबाद के यूएन मेहता हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने 4 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया है कि कोरोना बाद हार्ट अटैक में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है। पहले 11 प्रतिशत हार्ट अटैक आता था, जो अब बढ़कर 12 प्रतिशत हुआ है। युवा पीढ़ी समेत कम उम्र के बच्चों की हार्ट अटैक से हो रही मौत के मामलों में 52 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई।
लोगों में गलतफहमी
यूएन मेहता हॉस्पिटल के डॉ. मिलन चग ने बताया कि छोटे बालकों में हार्ट अटैक को लेकर लोगों में गलतफहमी है। 15-20 वर्ष में खेलते-खेलते होने वाली मौत हार्ट अटैक से नहीं होती है। मौत का वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलता है। कोरोना के कारण हार्ट की बीमारी बढ़ी, यह बात गलत है। इसके लिए वैक्सीन किसी तरह जिम्मेदार नहीं है। विश्व में भारत हृदय रोग की राजधानी कहलाता है। अन्य देशों की तुलना में भारत में हृदय रोग के मामले 20 फीसदी तक अधिक है।
ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण
यूएन मेहता के डॉक्टरों की टीम ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को तकलीफ हो तो उसे तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। बाईं ओर दर्द हो, या छाती पर भारीपन लगे या बाई ओर दर्द महसूस हो तो यह हार्ट अटैक हो सकता है। इस संबंध में लोगों को जानकारी होनी चाहिए और अपना ख्याल रखने की जरूरत है। डॉक्टरों ने बताया कि हृदय की मांसपेशियों को खून की आपूर्ति नहीं होने पर हार्ट अटैक आता है। साथ ही हृदय को ऑक्सीजन नहीं मिलना भी कारण हो सकता है। हार्ट रेट में सामान्य बढ़ोतरी का भी असर हो सकता है, इस संबंध में भी लोगों को ध्यान रखने की जरूरत है।
डाटा का दिया हवाला
डॉक्टरों की टीम ने अपने रिसर्च के संबंध में बताया कि वर्ष 2018 के बाद हुए हार्ट अटैक का डाटा उनके पास है। 40 वर्ष से कम उम्र के मरीजों का उन्होंने सर्वे किया है। इसमें 2020 में 8 से 11 फीसदी मरीजों को हार्ट अटैक आया था। कोरोना बाद हार्ट अटैक में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है। पहले 11 फीसदी हार्ट अटैक आता था, जो अब बढ़कर 12 फीसदी हुआ है।
लोगों को दी यह सलाह
डॉक्टरों ने हार्ट को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह की सलाह देते हुए कहा कि लोगों को दिन में 11 किलोमीटर चलना चाहिए। जीवन को एक्टिव रखने की जरूरत है। विद्यार्थियों में हार्ट अटैक के संबंध में डॉक्टरों ने बताया कि इसकी मुख्य वजह तनाव है। साथ ही जंक फूड भी इनमें से एक कारण हो सकता है। लोगों को सुरक्षित रखने के लिए डाक्टरों ने सलाह दी कि किसी प्रकार का दर्द नहीं हो, लेकिन काम करते वक्त थकान महसूस हो या चलते वक्त थकान महसूस हो तो यह भी हार्ट अटैक का लक्षण है। परिवार के पूर्वजों को भी हार्ट अटैक आया हो तो खून में यह रोग प्रवेश कर सकता है।
राज्य सरकार ने बनाई है जांच कमेटी
गुजरात में युवाओं के बीच हार्ट अटैक के लगातार बढ़ते मामलों के बाद अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर सरकार को रिसर्च की सलाह दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में इस पर चर्चा करते हुए एक कमेटी बनाई है। जिसमें अहमदाबाद के यूएन मेहता हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. चिराग दोषी को कमेटी का प्रमुख बनाया गया है। इसके अलावा कमेटी में डॉ. जयेश शाह, डॉ. गजेन्द्र दुबे, डॉ. पूजा को शामिल किया गया है। यह कमेटी युवाओं में हार्ट अटैक से मौत की वजह और डाटा एकत्रित कर विश्लेषण करेगी।
नवरात्र के दौरान 36 लोगों की मौत
गुजरात में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को लेकर वित्त मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री कनूभाई देसाई ने कहा कि इसे लेकर सरकार चिंतित है और इसके कारणों के विश्लेषण के लिए सरकार ने कमेटी बनाई है। उन्होंने कोरोना वैक्सीन के कारण हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी संबंधी आशंकाओं को निराधार बताया।
जानकारी के अनुसार राज्य में नवरात्र के दौरान शाम 6 बजे से रात 2 बजे तक हार्ट अटैक के 766 मामले सामने आए हैं। इसमें 36 लोगों की मौत हो गई। इसमें हार्ट अटैक से नवरात्र के दौरान सर्वाधिक 16 मौत सौराष्ट्र क्षेत्र में हुए। इसके अलावा दक्षिण गुजरात में 15, उत्तर गुजरात में 2 समेत अहमदाबाद में 3 लोगों की मौत हुई है।
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