मोदी-शाह पर की थी अपमानजनक टिप्पणी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिखाई ऐसी सख्ती

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी आजादी देता है। लेकिन इस अधिकार का प्रयोग किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली-गलौज या अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं किया जा सकता।

127

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रियों को अपशब्द बोलने के मामले में जौनपुर के मीरागंज थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने शनिवार को अपने आदेश में कहा कि प्राथमिकी को पढ़ने से संज्ञेय अपराध बन रहा है। इसलिए प्राथमिकी में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।

हाई कोर्ट ने कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को पूरी स्वतंत्रता दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने मुमताज मंसूरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूरी आजादी देता है। लेकिन इस अधिकार का प्रयोग किसी भी नागरिक के खिलाफ गाली-गलौज या अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं किया जा सकता। यहां तक कि प्रधानमंत्री या अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी नहीं है।

इस मामले में याची ने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 504 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया था। याची ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.