शहर के सुभाष चौक स्थित भगवान जगन्नाथ जी का मंदिर करीब 250 वर्ष पुराना है। करीब 160 वर्षों से जगन्नाथ मेले का आयोजन हो रहा है। यह जानकारी मंदिर के महंत देवेंद्र शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि उनकी सातवीं पीढ़ी इस मंदिर में सेवा कार्य कर रही है। उनके पूर्वज राजा-महाराजाओं के समय में मन्दिर के महंत हुआ करते थे। उसके बाद से लगातार वंशानुगत क्रम चला आ रहा है। सन 1863 से भगवान जगन्नाथ का अलवर में मेला प्रारम्भ हुआ था। उस समय उनकी दूसरी पीढ़ी हुआ करती थी।
मन्दिर महंत ने बताया कि मंदिर में प्रवेश द्वारा पर चौक में सवामन का घण्टा लगा हुआ है। इनकी खास बात यह है कि जब यह आरती के समय बजता है तो इसकी आवाज आसपास दूर तक सुनाई देती है। यह उनकी माता शारदा देवी के द्वारा सन 1990 में लगवाया गया था। मन्दिर में आरती के समय इसे बजाया जाता है।
ये है परंपरा
अलवर शहर में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की तर्ज पर ही उनकी बारात निकाली जाती है। विवाह की सभी रस्में इस दौरान निभाई जाती है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में पूरा शहर बाराती होता है। इसके अलावा जिले के राजगढ़, मालाखेड़ा और भिवाड़ी में भी रथयात्रा निकली जाती है।
50-60 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मंदिर
भगवान जगन्नाथ का मंदिर शहर के सुभाष चौक में स्थित है। जो जमीन से करीब 50-60 फ़ीट की ऊंचाई पर है। हिन्दू स्थापत्य शैली में निर्मित यह मंदिर पूर्वाभिमुख है। मंदिर में चढ़ने के लिए संगमरमर की सीढ़ियां है। मन्दिर के चारों ओर झरोखे व बरामदे बने हुए है। मन्दिर के मध्य खुला चौक है, जिसके ठीक सामने गर्भ गृह है। परिक्रमा और गर्भ गृह में स्थित भगवान जगन्नाथ की दो कृष्णवर्णी भव्य आदम कद प्रतिमाए है। एक प्रतिमा चंदन काष्ठ निर्मित चल प्रतिमा है। इसके ठीक पीछे थोड़ धातु से निर्मित अचल प्रतिमा है। जब भगवान जगन्नाथ मैया जानकी को ब्याहने रूपबास जाते हैं तो अचल प्रतिमा आमजन को दर्शनार्थ के लिए उपलब्ध रहती है। इन्हें बूढ़े जगन्नाथ भी कहते हैं। गर्भ गृह में ही सीताराम जी महाराज व जानकी मैया की छोटी प्रतिमाएं हैं।
मंदिर से रूपबास की दूरी करीब 6 किलोमीटर
मंदिर से रूपबास की दूरी करीब 6 किलोमीटर की है। इस दूरी को तय करने में रथयात्रा के दौरान करीब 7-8 घण्टे लग जाते हैं। क्योंकि जगन्नाथ व जानकी मैया के दर्शन के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ता है। रूपबास से लेकर सुभाष चौक मंदिर तक श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को मिलता है।