अमर महल पैलेस (Amar Mahal Palace) जम्मू (Jammu) का एक भव्य और ऐतिहासिक महल है, जो अब एक संग्रहालय (Museum) के रूप में परिवर्तित (Converted) किया जा चुका है। यह महल तवी नदी के किनारे स्थित एक पहाड़ी पर बना हुआ है और यहां से जम्मू शहर और त्रिकुटा की पहाड़ियों का बेहद खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है।
अमर महल पैलेस की योजना 1862 में एक फ्रांसीसी वास्तुकार द्वारा बनाई गई थी। हालांकि, यह 1890 के दशक तक नहीं बना था। महाराजा हरि सिंह (राजा अमर सिंह के बेटे) की पत्नी महारानी तारा देवी 1967 में अपनी मृत्यु तक इस महल में रहीं।
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संग्रहालय का उद्घाटन भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 13 अप्रैल 1975 को किया था । घोषित उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए, ट्रस्ट संग्रहालय में निर्देशित पर्यटन, पुस्तक वाचन, व्याख्यान, फिल्म शो और शौक कक्षाएं और अन्य आगंतुक अनुकूल गतिविधियों की व्यवस्था करता है।
घूमने का समय
– समय – सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
– सप्ताह में एक दिन (जैसे सोमवार) बंद हो सकता है।
– फोटोग्राफी आमतौर पर बाहरी परिसर में अनुमति है, अंदर सीमित हो सकती है।
अमर महल संग्रहालय की विशेषताएं
सोने का सिंहासन
संग्रहालय में रखा गया सबसे प्रमुख आकर्षण है 120 किलो शुद्ध सोने का सिंहासन, जो पहले डोगरा राजाओं द्वारा उपयोग किया जाता था।
कलाकृतियाँ और पेंटिंग्स
संग्रहालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डोगरा राजाओं, और विभिन्न भारतीय कलाकारों की दुर्लभ पेंटिंग्स और तस्वीरें देखने को मिलती हैं।
इतिहास और साहित्य
डोगरा इतिहास, जम्मू की संस्कृति, और राजा हरि सिंह से जुड़े दस्तावेज और वस्तुएँ भी प्रदर्शित हैं।
पुस्तकालय
यहाँ एक बड़ा लाइब्रेरी सेक्शन भी है जिसमें कई दुर्लभ पुस्तकें और ऐतिहासिक दस्तावेज रखे गए हैं।
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