दिल्ली विश्वविद्यालय के दो निर्माणाधीन कॉलेजों के नाम महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावकर और भारतीय जनता पार्टी की नेता तथा पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के नाम पर रखे जाने की घोषणा की गई है। विश्वविद्यालय के उपकुलपति योगेश सिंह ने यह जानकारी दी।
योगेश सिंह ने यह घोषणा करते हुए बताया कि कई नेताओं के नामों में से इन दो नेताओं के नामों का चयन एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में किया गया।
एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में लगी मुहर
एग्जीक्यूटिव काउंसिल की सदस्य सीमा दास ने कहा कि ईसी की पिछली बैठक में कई नामों की सूची विश्वविद्यालय के उपकुलपति योगेश सिंह को सौंपी गई थी। उनमें से दो नामों का चयन उन्हें करना था। आखिर 29 अक्टूबर को उन्होंने वीर सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर मुहर लगा दी। वीसी ने हमें बताया कि इन दो नामों का उन्होंने अंतिम रुप से चयन कर लिया है। विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि निर्माणाधीन कॉलेजों के नामकरण का विचार पहली बार अगस्त में एक बैठक के दौरान आया था।
पवार ने दिया था सुझाव
29 अक्टूर की बैठक में मौजूद एग्जीक्यूटिव काउंसिल के एक अन्य सदस्य राजपाल सिंह पवार ने बताया कि वे उन कुछ लोगों में शामिल थे, जिन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि दोनों चयनित नाम एक विशेष विचारधारा से जुड़े लोगों के हैं। पवार ने बताया, “पिछली बैठक में, हमने उनसे सूची में और नाम जोड़ने का अनुरोध किया था। हमने कहा था कि दोनों नामों में से किसी का भी शिक्षा के क्षेत्र से कोई संबंध नहीं है। हमने सुझाव दिया कि सूची में एपीजे अब्दुल कलाम जैसे अन्य नाम शामिल किए जा सकते हैं। लेकिन अंतिम निर्णय वीसी को लेना था।”
अगस्त में हो गया था निर्णय
काउंसिल के पूर्व सदस्य और दक्षिणपंथी शिक्षक समूह नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) के अध्यक्ष एके भागी ने कहा कि स्वराज और वीर सावरकर के नाम पर आगामी कॉलेजों के नामकरण को अगस्त में ही अंतिम रूप दे दिया गया था। लेकिन काउंसिल को सरकार की मंजूरी का इंतजार था।
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कॉलेजों के लिए भूखंड भी तय
एके भागी ने बताया कि अब सरकार की ओर से इसे ग्रीन सिग्नल मिल जाने के बाद विश्वविद्यालय के दो निर्माणाधीन कॉलेजों के नाम वीर सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर रखा जाना तय हो गया है। फिलहाल कॉलेजों के निर्माण के लिए भूखंड भी देख लिए गए हैं और अब इस मामले में सरकार के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है।