अब आर्मेनिया ने भारत से खरीदी माउंटेड आर्टिलरी गन, इससे पहले खरीद चुका है ये सैन्य हथियार

भारत ने विदेशी बाजारों में पैर जमाने पर अपना ध्यान केंद्रित करके 2025 तक पांच बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।

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अपने पड़ोसी अजरबैजान से आत्मरक्षा में लगा आर्मेनिया तेजी के साथ सैन्य हथियार जुटा रहा है। भारत से पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर खरीदने के बाद अब माउंटेड आर्टिलरी गन की चार से पांच रेजिमेंट के लिए भारतीय फर्म को ऑर्डर किया है। इस सैन्य हार्डवेयर में मिसाइल, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, अपतटीय गश्ती जहाज, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, निगरानी प्रणाली और विभिन्न प्रकार के राडार शामिल हैं। भारत भी विदेशी ऑर्डर हासिल करने के लिए हथियारों का निर्यात बढ़ाने के लगातार प्रयास कर रहा है।

भारतीय रक्षा कंपनी कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड को मित्र देश आर्मेनिया ने 155 मिमी/39 कैलिबर ट्रक आर्टिलरी गन की आपूर्ति के लिए 155.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऑर्डर दिया है। इस हथियार प्रणाली के लिए किसी देश से मिला यह पहला निर्यात ऑर्डर है। रक्षा कंपनी ने 10 नवंबर को मित्र देश के नाम का खुलासा करते हुए बताया है कि ऑर्डर में सिस्टम की चार से पांच रेजिमेंट शामिल हैं और इसकी आपूर्ति तीन साल की समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी। इस सैन्य हार्डवेयर में मिसाइल, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, अपतटीय गश्ती जहाज, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, निगरानी प्रणाली और विभिन्न प्रकार के राडार शामिल हैं।

आर्मेनियाई सेना ने दिया छह अतिरिक्त पिनाका रेजिमेंट का ऑर्डर
भारत को दो माह पहले आर्मेनिया से मिसाइल, रॉकेट और गोला-बारूद के लिए 245 मिलियन डॉलर का ऑर्डर मिला था। सितम्बर माह की शुरुआत में सरकार से सरकार के तहत दोनों देशों के बीच कई अनुबंध हुए हैं। आर्मेनिया ने अन्य प्रणालियों के साथ पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर (एमबीआरएल) सिस्टम की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। आर्मेनिया को पिनाका रॉकेट की आपूर्ति 245 मिलियन के नए हथियारों और बारूद के निर्यात पैकेज का हिस्सा है। आर्मेनियाई सेना ने फिलहाल छह अतिरिक्त पिनाका रेजिमेंट के लिए ऑर्डर दिया है। भारत सौदे के तहत आर्मेनिया को टैंक रोधी रॉकेटों के साथ-साथ गोला-बारूद की एक शृंखला की भी आपूर्ति करेगा।

चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात
यह पहली बार नहीं है जब आर्मेनिया को भारत से हथियार प्रणालियों का निर्यात किया जा रहा है। इससे पहले भारत ने 2020 में 350 करोड़ रुपये का सौदा हासिल करके दुश्मन के खतरनाक हथियारों को खोजने में माहिर चार स्वाति वेपन लोकेटिंग राडार (डब्ल्यूएलआर) की आपूर्ति की थी। भारतीय सेना के लिए डिजाइन किए गए इन राडार का उपयोग दुश्मन की तोपों के गोले, मोर्टार और रॉकेट को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। दुश्मन के लॉन्चरों पर निगाह रखने के लिए भारत ने इस राडार को पाकिस्तान और चीन की सीमा पर लगाया है। 50 किलोमीटर की रेंज में एक साथ कई दिशाओं से आ रहे गोले और रॉकेट की सही दिशा बताने में ये राडार माहिर है।

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भारत ने किया 30 हजार करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात
भारत ने विदेशी बाजारों में पैर जमाने पर अपना ध्यान केंद्रित करके 2025 तक पांच बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है। फिलीपींस ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए भारत के साथ 374 मिलियन डॉलर से अधिक का सबसे बड़ा और पहला विदेशी सौदा किया है। इसके बाद आर्मेनिया पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और माउंटेड आर्टिलरी गन खरीद रहा है। केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद 2014 से भारत ने 30 हजार करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया है। अकेले चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 8,000 करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर हासिल किये गए हैं। भारत का रक्षा निर्यात 2021-22 में 13 हजार करोड़ के आंकड़े के साथ उच्चतम स्तर पर पहुंचा था।

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