Maharashtra Temple Trust Council: मंदिरों पर और उनकी भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को तुरंत हटाने की मांग के लिए हर सप्ताह ‘जहा मंदिर वहा सामूहिक आरती’ करने का निर्णय हाल ही में शिरडी में ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ में 1000 से अधिक मंदिरों के ट्रस्टियों द्वारा लिया गया। उसी के अनुसार, सोलापुर के श्रीवैष्णव मारुति देवस्थान में राज्य की पहली ‘सामूहिक आरती’ बड़े उत्साह और भावपूर्ण वातावरण में मान्यवरों की उपस्थिति में की गई। यह जानकारी ‘मंदिर महासंघ’ के राष्ट्रीय संगठक श्री सुनील घनवट ने दी।
सोलापुर के श्रीवैष्णव मारुति देवस्थान, जुने घरकुल में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और श्रीवैष्णव मारुति देवस्थान के संयुक्त आयोजन में यह ‘सामूहिक आरती’ आयोजित की गई। इस अवसर पर मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक सुनील घनवट, श्रीवैष्णव मारुति देवस्थान के अध्यक्ष श्री भास्कर राऊल, ट्रस्टी श्री दीपक परदेशी, श्री नारायण दुभाषी, श्री रामकृष्ण सुंचू, श्रीनिवास कोत्तायम, श्रीगणेश मंदिर के अध्यक्ष श्री वेणुगोपाल म्याना, श्री चौडेश्वरी मंदिर के पुजारी श्री गोवर्धन म्याकल, पद्माशाली पुरोहित संघ के सदस्य श्री व्यंकटेश जिल्ला, श्री परमेश्वरी देवस्थान के पुजारी श्री विठ्ठल पांढरे, हिंदुत्वनिष्ठ श्री विजय इप्पाकायल, श्री धन्यकुमार चिंदे, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के श्री विनोद रसाळ, हिंदू जनजागृति समिति के श्री संकेत पिसाळ, श्री गौरीशंकर कलशेट्टी, श्री धनंजय बोकडे और श्री बालराज दोंतुल सहित बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।
राज्यभर से 875 से अधिक आमंत्रित ट्रस्टी शामिल
24 और 25 दिसंबर को श्री साई पालखी निवारा, निमगांव, शिरडी में हुई तीसरी ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ में राज्यभर से 875 से अधिक आमंत्रित मंदिरों के ट्रस्टी, प्रतिनिधि, पुजारी, मंदिरों की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे वकील और मंदिर अध्ययनकर्ता शामिल हुए। इसमें मुख्य रूप से मंदिरों और उनकी भूमि पर हो रहे अतिक्रमण के विरोध में हर सप्ताह ‘मंदिर में सामूहिक आरती’ करने; काशी और मथुरा तीर्थक्षेत्रों के मुकदमों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने; सरकार से राज्य के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर भक्तों के सुपुर्द करने; भक्तों द्वारा मंदिरों में दिए गए दान को राज्य सरकार द्वारा विकास कार्यों में प्रयोग न करने की घोषणा करने; मंदिर परिसर को ‘शराब और मांस मुक्त’ बनाने के लिए अधिसूचना जारी करने; और राज्य के मंदिर पुजारियों को मासिक वेतन देने का निर्णय लेने जैसी प्रमुख मांगें पारित की गईं। इन मांगों को तुरंत पूरा करने की अपील मंदिर महासंघ के घनवट ने की ।
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