Gyanwapi case: परिसर की सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एएसआई को मिला ‘इतने’ दिन का और समय

कोर्ट में 18 नवंबर को समय बढ़ाने की अर्जी पर सुनवाई के बीच एएसआई के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा। इस पर वादी हिंदू पक्ष ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन प्रतिवादी पक्ष ने इसका जमकर विरोध किया।

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File photo

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करने के लिए 10 दिन की मोहलत मिल गयी है। एएसआई के आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शनिवार को यह फैसला सुनाया।

सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एएसआई के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र देकर 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। जिला जज डॉ. विश्वेश ने 15 दिन के बजाय 10 दिन का वक्त दिया है। जिला जज ने मौखिक आदेश में 10 दिन बढ़ाने की बात कही।

मांगा था 15 दिन का अतिरिक्त समय
एएसआई के अधिवक्ता ने ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट तैयार न होने पर अदालत से 15 दिन की अतिरिक्त समय देने की मांग की थी। ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए एएसआई की टीम को पहले चार सितंबर तक का अदालत ने अतिरिक्त समय दिया था। चार सितंबर तक रिपोर्ट तैयार न होने पर एएसआई ने अदालत से और मोहलत मांगी। अदालत ने 06 सितंबर को अतिरिक्त समय देते हुए सर्वे रिपोर्ट 17 नवंबर को दाखिल करने का आदेश दिया था। 17 नवंबर को सर्वे रिपोर्ट तैयार न होने पर जिला अदालत ने 10 दिन की और मोहलत दी है।

प्रतिवादी पक्ष ने किया विरोध
कोर्ट में 18 नवंबर को समय बढ़ाने की अर्जी पर सुनवाई के बीच एएसआई के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा। इस पर वादी हिंदू पक्ष ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन प्रतिवादी पक्ष ने इसका जमकर विरोध किया। प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता का तर्क था कि बार-बार जिला अदालत के आदेश के बाद भी एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल नहीं की। बार-बार अतिरिक्त समय मांगा जा रहा है जो उचित नहीं है। ऐसे में एएसआई को समय नहीं दिया जाना चाहिए। अदालत ने मौखिक रूप से एएसआई को 10 दिन के अंदर हर हाल में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।

100 दिन के सर्वे में मिले 250 अवशेष
अधिकारियों के मुताबिक ज्ञानवापी परिसर में सौ दिन से अधिक समय तक चले सर्वे में मिले 250 अवशेष को जिलाधिकारी की निगरानी में कलेक्ट्रेट परिसर स्थित कोषागार के लॉकर में जमा कराया गया है। एएसआई ने सर्वे का अब तक का अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार कर लिया है। इस रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जिला जज की अदालत में दाखिल किया जाएगा। जिला जज डॉ. विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर शेष परिसर का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था। अदालत के आदेश पर 24 जुलाई को एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे शुरू कर दिया।

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मुस्लिम पक्ष ने खटखटाया है सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा
इसके बाद जिला अदालत के आदेश के विरोध में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई के सर्वे पर रोक लगा दी थी। फिर सुप्रीम कोर्ट एवं इलाहाबाद हाई कोर्ट से आदेश मिलने के बाद एएसआई के 40 सदस्यीय दल ने फिर ज्ञानवापी परिसर में चार अगस्त से सर्वे प्रारम्भ किया था। एएसआई ने सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम सहित अत्याधुनिक उपकरणों की मदद और पारंपरिक तकनीक के जरिए ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद एवं शीर्ष की नाप-जोख कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसमें हैदराबाद और कानपुर के एएसआई विशेषज्ञों ने भी पूरा सहयोग दिया।

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