Attukal Pongala: अट्टुकल पोंगल (Attukal Pongala), केरल (Kerala) के त्रिवेंद्रम शहर (Trivandrum city) में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध और अद्वितीय धार्मिक उत्सव है।
यह उत्सव खासतौर पर देवी अट्टुकल अम्मा (Goddess Attukal Amma) की पूजा में समर्पित है और खासकर महिलाओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस धार्मिक आयोजन का सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक महत्व भी अत्यधिक है।
आइए जानते हैं अट्टुकल पोंगला से जुड़े 6 रोचक तथ्य:
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1. महिलाओं का सबसे बड़ा जमावड़ा
अट्टुकल पोंगला को अक्सर दुनिया में महिलाओं का सबसे बड़ा जमावड़ा कहा जाता है। हर साल, लाखों महिलाएं, न सिर्फ केरल से, बल्कि अन्य राज्यों से भी, अट्टुकल भगवती मंदिर के आसपास एकत्र होती हैं, जहां वे पोंगला – चावल, गुड़, नारियल और अन्य सामग्री से बने विशेष प्रसाद – को देवी को अर्पित करती हैं। इस विशाल संख्या में महिलाएं एकत्र होती हैं, जो इस आयोजन को एक अद्वितीय दृश्य बनाती हैं।
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2. भक्ति और समुदाय का उत्सव
यह उत्सव विशेष रूप से भक्ति से भरा होता है, जिसमें महिलाएं अपने परिवार की भलाई और देवी अट्टुकल अम्मा से समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना करती हैं। महिलाएं पोंगला प्रसाद को खुले स्थानों पर या मंदिर परिसर में आग पर पकाती हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह समुदायिक एकता और सहयोग को बढ़ावा देने वाला भी है। इस दौरान लोग एक-दूसरे से मिलकर खुशी और आशीर्वाद का आदान-प्रदान करते हैं।
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3. उत्सव की उत्पत्ति
अट्टुकल पोंगला का संबंध अट्टुकल अम्मा की कथा से जुड़ा हुआ है, जो देवी भद्रकाली की अवतार मानी जाती हैं। मान्यता है कि एक समय में अट्टुकल के राजा को भयंकर सूखा पड़ा था। उनकी रानी ने देवी को पोंगला का भोग अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया, जिसके बाद बारिश हुई और क्षेत्र में समृद्धि आई। इस कहानी को आधार बनाकर हर साल पोंगला उत्सव मनाया जाता है।
4. विविध अनुष्ठानों से भरा होता है उत्सव
अट्टुकल पोंगला उत्सव सिर्फ पोंगला पकाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह कई दिनों तक चलने वाला धार्मिक आयोजन होता है। इस दौरान देवी के प्रतिमा की शोभायात्रा, पूजा, अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। अंतिम दिन पोंगला तैयार किया जाता है, जो इस उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है।
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5. महिलाओं की शक्ति और एकता का प्रतीक
अट्टुकल पोंगला महिलाओं की शक्ति, एकता और सशक्तिकरण का प्रतीक मानी जाती है। यह उत्सव सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह महिलाओं को एक मंच पर लाने और सामूहिक रूप से पूजा में भाग लेने का एक अवसर प्रदान करता है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।
6. यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त
अट्टुकल पोंगला के सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए इसे यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में 2013 में शामिल किया गया था। इस उत्सव का विशाल आकार, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक कनेक्शन इसे न सिर्फ केरल, बल्कि भारत का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव बनाता है। यह उत्सव भारतीय परंपराओं और सामूहिक भावना की ताकत को दर्शाता है।
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धार्मिक उत्सव
अट्टुकल पोंगला सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भक्ति, एकता, सांस्कृतिक धरोहर और महिलाओं की सामूहिक शक्ति का प्रतीक है। इसके विशाल आकार, प्राचीन परंपराओं और गहरे आध्यात्मिक संबंध के कारण यह हर साल लाखों भक्तों का ध्यान आकर्षित करता है। यह उत्सव यह सिद्ध करता है कि कैसे भक्ति और विश्वास सीमाओं से परे जाकर समाज को एकजुट करने का कार्य करता है।
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