ज्येष्ठ मास की 42 डिग्री की तपती धूप में महात्यागी संत करते हैं पंचाग्नि तपस्या। खुले आसमान के नीचे धूप में अपने चारों तरफ गौ माता के सूखे गोबर के उपले से चारों तरफ अग्नि प्रज्वलित करके सर पर खबर में अग्नि रखें समाज कल्याण के लिए भगवत उपासना करते हैं। पंचाग्नि धूनी तपस्या बसंत पंचमी से प्रारंभ होकर के गंगा दशहरा पर समाप्त होती है। इस अवसर पर बाईपास स्थित सिद्ध पीठ संकट मोचन हनुमान किला पर श्री महंत परशुराम दास महाराज के संयोजन में पंचाग्नि की तपस्या करने वाले संतों का सम्मान किया गया और हवन पूजन कर धूनी विसर्जित किया गया।
धूनी विसर्जित व गंगा दशहरा के अवसर पर तपस्या संतों ने मां सरयू को सवा कुंटल दूध का अभिषेक कर 7 सौ मीटर की मां को चुनरी चढ़ाई। वैदिक आचार्यों द्वारा साढ़े 4 महीने से चल रही अनवरत तपस्या का पूजन अर्चन कर संकल्प द्वारा विसर्जन कराया गया यह तपस्या निरंतर 18 वर्षों तक चलती है बीच में खंडित होने पर पुनः पहले वर्ष से प्रारंभ होती है।
इस तरह चला कार्यक्रम
परशुराम दास महाराज ने बताया कि वैष्णो सनातन परंपरा के संत विश्व और समाज कल्याण के लिए हठयोग कि यह पंचाग्नि तपस्या करते हैं। धूनी विसर्जन के बाद उपस्थित सभी संतों महंतों को एवं श्रद्धालुओं को प्रसाद ग्रहण कराया गया। इस अवसर पर महंत धर्मदास, महंत विजय रामदास, महंत राम कुमार दास, श्री राम कथा के मर्मज्ञ चंद्रांशु जी महाराज, हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेश दास, महंत राम बालक दास, रुदौली विधायक रामचंद्र यादव, टांडा की पूर्व विधायक संजू देवी, समाज सेवी आशीष मौर्या उर्फ सोनू, नंदकिशोर जयसवाल, विकास सिंह, अमर सिंह, भाजपा के जिला मंत्री विपिन सिंह बबलू, सियाराम यादव, मस्तराम यादव, धर्मवीर वर्मा सहित सैकड़ों संत महंत भक्त वृंद उपस्थित रहे।