अयोध्या : श्री राम मंदिर के निर्माण कार्यों की हुई समीक्षा, इन मुद्दों पर हुआ मंथन

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मन्दिर से करीब 5 किमी दूर रामसेवकपुरम में रामायण के दृश्यों से जुड़ी मूर्तियां बनाई जा रही हैं। ये मूर्तियां राम मंदिर के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तैयार करवा रहा है।

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श्रीराम जन्मभूमि परिसर में चल रही राम मंदिर निर्माण समिति की पहले दिन की बैठक का 21 जुलाई की शाम को समापन हुआ। इसके बाद मंदिर निर्माण समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा और राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने परिसर में चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया। बैठक के दौरान परिसर में अब तक के हुए कार्यों की समीक्षा की गई। साथ ही बारिश का मंदिर निर्माण प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ा, इसको लेकर भी मंथन हुआ। बैठक राम मंदिर निर्माण सामिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में हुई। इस दौरान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व सदस्य डॉ अनिल मिश्र भी मौजूद रहे।

डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि पहले दिन बैठक में मंदिर में अब तक हुए कार्यों को लेकर समीक्षा हुई है। इस दौरान मंदिर में लगने वाले पत्थरों को लेकर भी विचार विमर्श हुआ। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को होने वाली बैठक महत्वपूर्ण होगी।

निरीक्षण के दौरान अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह सहित निर्माण संस्था एलएंडटी व अन्य विकास संबंधित योजना से जुड़े लोग भी शामिल रहे।

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ट्रस्ट तैयार करवा रहा है रामायण से जुड़ी मूर्तियां
-अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर से करीब 5 किमी दूर रामसेवकपुरम में रामायण के दृश्यों से जुड़ी मूर्तियां बनाई जा रही हैं। ये मूर्तियां राम मंदिर के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तैयार करवा रहा है। इन्हें मूर्तिकार नारायण मंडल व उनके पुत्र रंजीत मंडल बना रहे हैं। मूर्तिकार नारायण मंडल बताते हैं कि ‘‘विहिप के नेताओं ने 9 साल पहले मुझसे कहा था कि राम मंदिर परिसर के लिए भगवान राम के जीवन से जुड़े दृश्यों की मूर्तियां चाहते हैं। इसके बाद रिसर्च करने के लिए मैं और मेरा बेटा रंजीत रामचरितमानस, रामायण और तस्वीरों वाली धार्मिक किताबों का अध्ययन किया।’’

-मूर्तियों में जीवंतता लाने के लिए नारायण मंडल ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में भगवान राम जुड़े हुए धार्मिक स्थलों की यात्रा की। इन स्थलों पर काफी वक्त गुजारा। फिर वापस अयोध्या आकर मूर्तियां बनाना शुरू किया। नारायण मंडल बताते हैं कि मूर्तियों के माध्यम से रामायण का कोई एक दृश्य बनाया जाता है। ऐसे में इन्हें बनाने में वक्त लगता है। अब तक करीब 60 मूर्तियां बन चुकी हैं। अभी और मूर्तियों को बनाया जाएगा। इनका साइज 4 से 5 फीट के बीच है। मूर्तियों में बंगाल के पहनावे की झलक दिखेगी, जबकि फेस कटिंग उत्तर भारत के लोगों जैसी होगी। नारायण बताते हैं कि इससे देशभर से आए लोग मूर्तियों के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे। काम पूरा होने में थोड़ा वक्त और लग सकता है।

मूर्तियों की ये होगी विशेषता
अयोध्या में विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि राम के जन्म से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या वापसी तक के स्वरूपों को मूर्तियों के माध्यम से उकेरा जा रहा है। करीब 120 मूतियां बनाई जाएंगी। इन्हें एक तरह से प्रदर्शनी की तरह रखा जाएगा। गौरतलब हो कि असम से रहने वाले रंजीत ने फाइन आर्ट्स में एमए किया है। 1997 में रणजीत की मुलाकात विहिप के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल से असम में हुई थी।

अशोक सिंघल हए थे प्रभावित
रणजीत बताते हैं कि सिलचर में उन्होंने व्यास जी की मूर्ति बनाई थी। इसे देखकर सिंघल काफी प्रभावित हुए। इसके बाद रंजीत को दिल्ली बुलाया। 1998 में रंजीत दिल्ली आए। यहां सिंघल ने उन्हें अयोध्या में रामकथा कुंज के लिए मूर्तियां बनाने की बात कही। रंजीत के मुताबिक, विहिप से जुड़ने के बाद उसके कई मंदिरों और कार्यालयों के लिए मूर्ति बनाई। दिल्ली में आरके पुरम में विहिप कार्यालय में लगी हनुमानजी की मूर्ति भी उन्होंने ही बनाई है।

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