वो अपनी सुध खो चुकी थीं। उनका इलाज चल रहा था लेकिन वे अचानक घर से बाहर निकलीं और गुम हो गईं। भाई पूर्व सीएम थे प्रदेश में रुतबा थे लेकिन सब हार गए। इस बीच पीड़ित बहन भरतपुर पहुंची और वहां उनका इलाज शुरू हुआ। जब यादें लौटीं तो आश्रम अचंभे में पड़ा गया और सूचना मिलने पर परिवार की खुशियां लौट आईं।
मानसिक अवसाद मानव को डस रहा है। देश की जनसंख्या का लगभग 6.5 प्रतिशत लोग मानसिक अवसाद से ग्रसित हैं जबकि हर सातवां भारतीय किसी न किसी मानसिक रोग से ग्रस्त है। इसी में से एक हैं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की बहन मैंसूरी देवी। जो सन 2000 से मानसिक अवसाद में थीं। उनका इलाज चल रहा था। इसी अवस्था में सन 2012 में घर से निकल गईं और उनका कोई पता नहीं चला।
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2012 के बाद से मैंसूरी अपनी सुध-बुध खोए सड़कों पर भटकती रहीं। इसी बीच जाने कब राजस्थान के भरतपुर पहुंचीं। जहां सन 2018 में उन्हें अपना घर आश्रम में भर्ती कराया गया। यहां उनका लंबा इलाज चला। सेवा और दवा हुई तो मैंसूरी की यादें भी लौटीं। जिसके बाद उन्होंने अपना पता बताया।
मैंसूरी के पता बताने के बाद उनके घर से संपर्क किया गया। जिन नामों को उन्होंने बताया था उसे सुनकर आश्रम के लोग भी दंग थे। जब घर वालों से संपर्क हुआ तो भागे-भागे भाई और बेटा पहुंच गए।
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बाबूलाल मरांडी की हैं बहन
मैंसूरी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की बहन हैं। आश्रम से लेने बाबूलाल के छोटे भाई नूनूलाल और भाई सुलेमान गए थे। परिवार बहन के वापस लौटने को लेकर आशाएं खो चुका था। लेकिन जब आश्रम के संचालकों की ओर से सूचना मिली तो परिवार में खुशियां पनप उठीं।
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