Banswara :
बांसवाड़ा, राजस्थान (Rajasthan) के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक खूबसूरत और ऐतिहासिक जिला है। इसे “सौ द्वीपों का शहर” के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह क्षेत्र माही नदी के कारण कई द्वीपों से घिरा हुआ है। यह स्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व, और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
यह भी पढ़ें – BPSC Protest: भूख हड़ताल से गिरफ्तार प्रशांत किशोर को कुछ घंटे बाद ही मिली जमानत, यहां पढ़ें
बांसवाड़ा का नाम और इतिहास (History)
बांसवाड़ा का नाम ‘बांस’ (बांस के पेड़) से लिया गया है, जो यहां बहुतायत में पाए जाते थे। ऐतिहासिक रूप से, यह क्षेत्र वागड़ नामक राज्य का हिस्सा था। बांसवाड़ा पर भील समुदाय का गहरा प्रभाव रहा है। यहां के राजा बांसिया भील से संबंधित थे, और यह क्षेत्र उनकी प्रमुखता को दर्शाता है। (Banswara)
यह भी पढ़ें – GST Notice: पानी पूरी बेचने वाले को GST ने भेजा नोटिस, लाखों में है इनकी सालाना कमाई
प्राकृतिक सुंदरता और “सौ द्वीपों का शहर”
बांसवाड़ा को प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना कहा जा सकता है। यह माही नदी और उसकी सहायक नदियों के कारण अद्वितीय बनता है। माही नदी पर बने बांधों और जलाशयों के कारण यहां सैकड़ों छोटे द्वीप बने हुए हैं, जो इसे “सौ द्वीपों का शहर” की उपाधि देते हैं। माही बांध और उसके आसपास का क्षेत्र पर्यटकों के लिए एक आकर्षण है। (Banswara)
यह भी पढ़ें – Gadchiroli : गढ़चिरौली में कौनसी नदियां बहती है ?
आदिवासी संस्कृति और परंपराएं
बांसवाड़ा का मुख्य जनजातीय समुदाय भील है, जो अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। यहां के आदिवासी मेलों और त्योहारों में पारंपरिक नृत्य, गीत, और स्थानीय पहनावे का प्रदर्शन होता है।
-
भगोरिया त्योहार: यह आदिवासी समुदाय का प्रमुख त्योहार है, जिसे होली के समय मनाया जाता है। इस दौरान पारंपरिक नृत्य और मेलों का आयोजन होता है।
-
गरबा और गवरी नृत्य: यहां के आदिवासी समाज में ये नृत्य विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। (Banswara)
यह भी पढ़ें – Weather Update: मध्य प्रदेश में कड़ाके की ठंड का दूसरा दौर, बारिश के आसार
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
बांसवाड़ा में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं।
-
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर: यह मंदिर देवी त्रिपुरा सुंदरी को समर्पित है और इसे शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है।
-
अनाथपुरा शिव मंदिर: यह शिव मंदिर अपनी प्राचीनता और खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
-
माही बांध: माही नदी पर स्थित यह बांध पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच पिकनिक स्थल के रूप में लोकप्रिय है।
यह भी पढ़ें – Weather Update: मध्य प्रदेश में कड़ाके की ठंड का दूसरा दौर, बारिश के आसार
झीलों और जलाशयों का क्षेत्र
बांसवाड़ा को “झीलों का शहर” भी कहा जाता है। यहां कई झीलें और जलाशय हैं, जो इसके आकर्षण को बढ़ाते हैं।
-
कुसुम्बा झील: यह एक प्राकृतिक झील है, जो अपनी शांतिपूर्ण सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
-
डायलाब झील: यह झील बांसवाड़ा के स्थानीय और पर्यटकों के बीच एक पिकनिक स्थल के रूप में लोकप्रिय है।
यह भी पढ़ें – Uttar Pradesh: निजीकरण के फैसले को वापस ले सरकार, प्रयागराज बिजली पंचायत की CM योगी से मांग
कृषि और औद्योगिक विकास
बांसवाड़ा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से मक्का, गेहूं, और धान की खेती के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, बांसवाड़ा में संगमरमर और खनिज संसाधनों का भी उत्खनन होता है, जो इसे औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है। (Banswara)
पर्यटन का बढ़ता महत्व (Tourist Attraction)
बांसवाड़ा में पर्यटन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। झीलों, नदियों, और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ यहां की आदिवासी संस्कृति और त्योहार पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजस्थान सरकार भी बांसवाड़ा को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास कर रही है।
यह भी पढ़ें – Maha Kumbh 2025: मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी पर हो कडी कार्रवाई ! हिन्दू जनजागृति समिति की मांग