इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में आरोपी अदनान को जमानत दे दी। याची पर आरोप है कि उसने एक साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली पीड़िता के साथ बलात्कार किया। कोर्ट ने कहा कि फिल्म और टीवी सीरियल समाज में गंदगी फैला रहे हैं। हरेक सीजन में पार्टनर बदलना एक स्थिर व सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है।
इस मामले में अदनान पर धारा 376 (बलात्कार), 316, 506 आईपीसी (भारतीय दंड संहिता), और पाक्सो एक्ट की धारा 3/4 (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के तहत आरोप लगे। एक साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद गर्भवती होने के बाद पीड़िता ने अदनान पर रेप का आरोप लगाया ।
लुभाता तो है लिव इन रिलेशन, लेकिन..
कोर्ट के आदेश में जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा, “ऊपरी तौर पर, लिव-इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है और युवाओं को लुभाता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और मध्यमवर्गीय सामाजिक नैतिकता व मानदंड उनके चेहरे पर नजर आने लगते हैं। ऐसे जोड़ों को धीरे-धीरे एहसास होता है कि उनके रिश्ते को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है।” न्यायाधीश ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि, “विवाह में संस्था किसी व्यक्ति को जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति, प्रगति और स्थिरता प्रदान करती है, वह लिव इन रिलेशनशिप द्वारा कभी प्रदान नहीं की जाती है।”
लिव इन रिलेशन की समस्याएं
न्यायालय ने अपने आदेश में लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर निकलने वाले व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की है। कहा कि जहां उन्हें अक्सर सामाजिक स्थिति हासिल करना मुश्किल होता है। कहा गया है कि महिला को सामाजिक मानदंड, धर्म की परवाह किए बिना, अक्सर उनके जीवन को फिर से स्थापित करने के उनके प्रयास असफल साबित होते हैं।
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कई शर्तों के साथ जमानत
न्यायाधीश ने अदनान को जमानत देने के फैसले में योगदान देने वाले कारकों के रूप में जेलों में भीड़भाड़, आरोपी के त्वरित मुकदमे के निस्तारण का अधिकार और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। न्यायालय ने आरोपी को कई शर्तों के साथ जमानत दी, जिनमें सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करना, मुकदमे में ईमानदारी से सहयोग करना, आपराधिक गतिविधियों से बचना और गवाहों को प्रभावित नहीं करना शामिल है। इन शर्तों का उल्लंघन करने पर जमानत रद्द हो सकती है।