Ayodhya: रामलला मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की आ गई तिथि, चंपत राय ने दी पूरी जानकारी

दो दिवसीय काशी प्रवास में चंपत राय और गोविंद देव गिरी महाराज 4 सितंबर को अपरान्ह में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगदगुरू स्वामी शंकर विजयेन्द्र सरस्वती से हनुमानघाट स्थित मठ में मिले।

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रामनगरी अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर बन रहे दिव्य भव्य मंदिर में भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा आगामी वर्ष 2024 के 16 से 24 जनवरी के मध्य होगी। अधिक संभावना है कि 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा होगी। भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के लिए उचित समय और तिथि जानने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी महाराज लगातार संतों और शंकराचार्य से सम्पर्क कर रहे हैं।

दो दिवसीय काशी प्रवास में चंपत राय और गोविंद देव गिरी महाराज 4 सितंबर को अपरान्ह में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगदगुरू स्वामी शंकर विजयेन्द्र सरस्वती से हनुमानघाट स्थित मठ में मिले। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शंकराचार्य से लगभग दो घंटे तक भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के लिए उचित समय और तिथि पर विमर्श किया।

विचार-विमर्श के लिए संतों से संपर्क
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के लिए उचित समय और तिथि पर विमर्श के लिए काशी, प्रयागराज, हरिद्वार और अन्य जगहों के संतों के सम्पर्क में है। उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष के 16 जनवरी से 24 जनवरी के मध्य रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा होनी है। दिन और समय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को तय करना है।

चंपत राय ने दी पूरी जानकारी
-इसके पहले रोहनिया शहाबाबाद स्थित एक निजी व्यावसायिक परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि अक्टूबर 2023 तक रामलला की मूर्ति और सितंबर तक गर्भगृह का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इच्छा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो। उन्होंने बताया कि रामलला की मूर्ति खड़ी मुद्रा में रहेगी। पैर की उंगलियों से लेकर मस्तक तक ऊंचाई 51 इंच रखा गया है।

-उन्होंने बताया कि उदीयमान सूर्य की पहली किरण प्रभु राम के मुखमंडल पर पड़ेगी। उन्होंने बताया कि गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर हनुमान और गणपति की प्रतिमा लगेगी। मंदिर निर्माण में पत्थर और तांबे का प्रयोग हो रहा है। कर्नाटक, तेलगांना, राजस्थान के मार्बल का प्रयोग किया जा रहा है। मंदिर परिसर में रामचरितमानस से जुड़ी समाज महान विभूतियों की मूर्ति भी लगाई जाएगी। अन्नपूर्णा मंदिर के पास से ही भोजनालय बनाया जाएगा। मंदिर की भव्यता काफी अलौकिक होगी। गर्भगृह में भगवान का आसन सोने का होगा। मंदिर का शिखर भी सोने का हो सकता है। राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या में राम पथ, भक्ति पथ, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, राम की पैड़ी समेत 50 से ज्यादा डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

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-चंपत राय ने बताया कि राममंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है। उत्तर भारत में प्राचीन काल के मंदिर इसी शैली में बने हुए हैं। इसके साथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान के बाल स्वरूप की एक बड़ी मूर्ति भी स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि भगवान रामलला के मंदिर को इस तरह से बनाया जा रहा है कि आने वाले समय में कभी भी किसी भी तरह का भूकंप आए, तो मंदिर को किसी भी तरह का कोई नुकसान ना हो।

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