Bhagavad Gita quotes in hindi: भगवद गीता (Bhagavad Gita) भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को सही और गलत के बारे में सलाह के तौर पर सुनाई थी, जब अर्जुन अपने ही चचेरे भाई कौरवों के खिलाफ युद्ध करने से हिचकिचा रहा था।
इस युद्ध की वजह बनने वाली घटनाओं का वर्णन महाभारत में किया गया है, जो ऋषि व्यास द्वारा रचित 200 हज़ार श्लोकों वाला महाकाव्य है। भगवद गीता 700 श्लोकों वाला महाकाव्य है, जिसे 18 अध्यायों में विभाजित किया गया है।
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श्रीमद्भगवद्गीता के 5 सर्वश्रेष्ठ कोट यहां पढ़ें-
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥ २-२७
जन्मने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है इसलिए जो अटल है अपरिहार्य है उसके विषय में तुमको शोक नहीं करना चाहिये।
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प्रारब्धं भुज्यमानो हि गीताभ्यासरतः सदा।
स मुक्तः स सुखी लोके कर्मणा नोपलिप्यते॥
प्रारब्ध-कर्म को भोगता हुआ जो मनुष्य गीता के अभ्यास में निरत है, वह इस लोक में मुक्त और सुखी होता है तथा कर्म में लिप्त नहीं होता।
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देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति॥ २-१३
जैसे इस देह में देही जीवात्मा की कुमार, युवा और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही उसको अन्य शरीर की प्राप्ति होती है। धीर पुरुष इसमें मोहित नहीं होता है।
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य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते॥ २-१९
जो आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा समझता है वे दोनों ही नहीं जानते हैं, क्योंकि यह आत्मा न मरता है और न मारा जाता है।
न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥ २-२०
आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है।
आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।
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