मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस वे यानी समृद्धि महामार्ग के निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर अवैध रुप से रेती उत्खनन और निष्कृष्ट दर्जे के मटरियल का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर घोटाला करने का मामला प्रकाश में आया है। यह घोटाला मेसर्स मॉन्टे कार्लो लि. नामक कंपनी द्वारा करने का मामला उजागर हुआ है। इस मामले में ठेकेदार पर 328 रुपए का दंड लगया गया है। इसके विरोध में ठेकेदार ने बॉम्बे उच्च न्यायायलय की औरंगाबाद खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था। वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली और कंपनी को दंड भरने का आदेश दिया गया।
अंतरिम रोक लगाने से भी इनकार
जालना के तहसीलदार ने ठेकेदार पर यह जुर्माना लगाया है। जस्टिस मंगेश पाटील ने जुर्माने के खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद बेंच में ठेकेदार कंपनी द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर किए जाने तक कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने के कंपनी के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। इसलिए कंपनी को अब 328 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा।
ये भी पढ़ेंः लालबागचा राजा 2021: यदि आप ‘लालबाग के राजा’ का दर्शन करना चाहते हैं, तो ऐसा करें
यह है मामला
मेसर्स मॉन्टे कार्लो कंपनी लिमिटेड को जालना-औरंगाबाद के बीच समृद्धि महामार्ग के निर्माण का ठेका दिया गया है। जालना के जिलाधिकारी ने इसके लिए समय-समय पर खुदाई की अनुमति दी थी। लेकिन कंपनी को मटेरियल का अवैध रूप से खनन, उपयोग, परिवहन और भंडारण करने का दोषी पाया गया। बदनापुर के पूर्व विधायक संतोष सांबरे ने जालना के जिला कलेक्टर के पास शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि इससे बड़ी मात्रा में सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ है। इसके लिए जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित की थी। समिति द्वारा उत्खनित स्थलों का निरीक्षण करने पर पाया गया कि कंपनी ने जालना और बदनापुर तालुका की सीमाओं के भीतर अवैध रूप से मटेरियल का खनन, उपयोग और भंडारण किया था।