पेप्सी प्रबंधन पर बवाल, स्थानीय लोगों को नहीं मिला रोजगार! और भी उठे कई सवाल

स्थानीय लोगों ने बताया कि जबसे प्लांट बनना शुरू हुआ तो हम सब बहुत ही आशा एवं उम्मीद लगाए हुए थे कि अब बेरोजगारी खत्म हो जाएगी। लेकिन ऐसा हो न सका।

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बिहार के बेगूसराय में पेप्सी कंपनी का पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा बॉटलिंग प्लांट शुरू हो चुका है लेकिन इससे स्थानीय लोगों में जगी रोजगार की आशा सहित अन्य सपनों पर कड़ा प्रहार हुआ है। स्थानीय लोगों को रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने इस प्लांट की स्वीकृति दी तथा प्रबंधन ने रिकॉर्ड समय में फैक्ट्री बनाकर उत्पादन शुरू कर दिया, इसका दुष्परिणाम स्थानीय लोग झेलेंगे लेकिन आसपास के एक भी लोगों को रोजगार नहीं मिला, प्लांट के सभी कर्मी बाहरी हैं, फर्जी कागज के आधार पर बाहरी लोगों को स्थानीय बताया जा रहा है, जो कि विधि व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल है।

टूट गया स्थानीय लोगों का सपना
स्थानीय निवासी राम प्रकाश राय, विपिन कुमार एवं गिरधारी कुमार आदि ने बताया कि जबसे प्लांट बनना शुरू हुआ तो हम सब बहुत ही आशा एवं उम्मीद लगाए हुए थे कि अब बेरोजगारी खत्म हो जाएगी। लेकिन प्रबंधन ने स्थानीय स्तर पर युवाओं की बेरोजगारी खत्म करने के बदले बिहार से बाहर के श्रमिकों को रखा है। जिससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है तथा धरना प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। लोगों ने बताया कि सेंट्रल ग्राउंड वॉटर ऑथोरिटी के अनुसार सरकार इन पेप्सी और कोला कंपनियों से भूगर्भ जल के इस्तेमाल का कोई शुल्क नहीं लेती है, जबकि खेतों में भी पानी देने का टैक्स सरकार द्वारा लिया जाता है। पेप्सी जैसी विदेशी कंपनियां इलाके के बेशकीमती भूगर्भीय जल का इस्तेमाल करके हजारों करोड़ कमाएगी, यह पैसा विदेश जाएगा, लेकिन हमको काम तक नहीं दिया गया।

लोगों को सता रहा है ये डर
हमारे यहां का भूगर्भीय जल समाप्त हो जाएगा, इस प्लांट में रोज 40 लाख बोतल पानी एवं कोल्डड्रिंक पैक होगा, जिसमें एक करोड़ लीटर से भी अधिक पानी की रोज बर्बादी होगी। हाजीपुर में भी प्लांट लगा था, जहां भूगर्भीय जल समाप्त होने के कारण बॉटलिंग प्लांट को बंद करना पड़ा था, अब यही हाल बेगूसराय का होगा। जिस पानी से लाखों लोगों एवं पशुओं की प्यास बुझाने का इंतेजाम हो सकता है, वही बेशकीमती पानी जमीन से दोहन करके ठंडे पेयों में बर्बाद किया जा रहा है। इन कंपनियों द्वारा प्रतिदिन करोंड़ों लीटर पानी निकालने से संयंत्र के आस-पास के गांवों का भूगर्भ जल बहुत ही कम हो जाता है, इसी कारण केरल के प्लाचीमडा गांव में कोकाकोला संयंत्र को बंद कराने के लिए आंदोलन हुआ था। भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जहां पर कोल्ड ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियां बैन कर दी गई है लेकिन यहां नौकरी का प्रलोभन देकर युवाओं को अलग दिशा में ले जाया गया। बेगूसराय के प्राकृतिक संपदा के साथ खिलवाड़ किया गया, आने वाले समय में यहां जलस्तर में गिरावट होगी और बेगूसराय भयंकर जलत्रास्दी का शिकार होगा। इस संबंध में प्रबंधन का पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है।

भाजपा का आरोप
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री एवं पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार ने स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं देने तथा भूगर्भीय जल के दोहन को लेकर बड़ा सवाल उठाया है। रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के औद्योगिक करण की योजना जमीन पर उतरी, यह अच्छी बात है। स्थानीय बेरोजगारों और नौजवानों को उम्मीद थी कि काम मिलेगा हम सबको। लेकिन सबके उम्मीद पर पानी फिर गया, हकमारी हो गई। स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिला, काम करने वाले को स्थानीय कहा जा रहा है, जबकि वह सब बाहरी हैं। पेप्सी प्लांट ही नहीं, बियाडा की जमीन पर बनने वाले इथेनॉल प्लांट सहित सभी संस्थानों में स्थानीय लोगों को काम मिले। प्रबंधन का दायित्व है कि स्थानीय लोगों को काम देने के साथ-साथ कल्याणकारी कार्य करें। जलदोहन पर सवाल उठाते हुए रजनीश कुमार ने कहा कि भूगर्भीय जल की हालत पहले से खराब है, ऐसे में पेप्सी प्लांट में बोरिंग के माध्यम से लाखों-करोड़ों लीटर पानी रोज निकाले जाने से हाहाकार मचेगा। सरकार प्रबंधन को जल स्तर चार्ज करने के उपाय करने का निर्देश दे, ताकि परेशानी नहीं हो।

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