कोरोना के कहर के बीच फायजर और बायोएनटेक की तैयार कोविड-19 का टीका नागरिकों को देनेवाला ब्रिटेन पहला देश बन गया है। 8 दिसंबर से इसकी शुरुआत की गई। इसी के साथ ब्रिटेन ने सामूहिक टीकाकरण अभियान की शुरुआत कर दी है। एक हफ्ते पूर्व से ही इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में टीकाकरण तैयारी की जा रही है।
बुजुर्गों और स्वास्थकर्मियों को प्राथमिकता
ब्रिटेन में इसे फिलहाल 50 अस्पतालों में उपलब्ध कराया गया है। देश के नेशनल हेल्थ सर्विस ने जानकारी दी है कि सबसे पहले 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियो और नर्सिंग होम के स्टाफ को कोरान का टीका उपलब्ध कराया जाएगा। यूके में दिसंबर 2020 के अंत तक फाइजर/ बायोनटेक वैक्सीन की 4 मिलियन खुराक लोगो के लिए उलब्ध कराए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
- खास बातें
फाइजर/ बायोनटेक वैक्सीन को आरएनए तकनीक के साथ विकसित किया गया है। इसमें कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड का प्रयोग किया गया है। - यह टीका बांह में लगाया जाएगा
- टीके की दो खुराक दी जाएगी
दर्जनों टीकों पर काम जारी
कोरोना वायरस पर कंट्रोल के लिए विश्व भर में दर्जनों टीकों पर काम किया जा रहा है। कुछ कोरोना टीकों के तो ट्रायल के आखिरी स्टेज पर पहुंचने के दावे भी किये जा रहे हैं।
भारत में भी टीकाकरण जल्द
भारत में भी टीकाकरण जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। यहां पहले किन लोगों का टीकाकरण किया जाएगा, इसका वितरण कैसे किया जाएगा, इसकी योजना केंद्र की मोदी सरकार ने तैयार कर ली है। भारत में शुरू में एक करोड़ लोगों को टीका उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन टीकाकरण के बाद उसका साइड इफेक्ट क्या होगा? इस बात को लेकर लोग चिंतित हैं। लेकिन कुछ वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल के बाद जो आंकड़े आए हैं, उसमें कोई बड़े साइड इफेक्ट शामिल नहीं हैं।
डीसीजीआई का दावा
चेन्नई में ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय की ओर से कोरोना वैक्सिन के ह्यूमन ट्रायल के दौरान एक स्वयंसेवक पर इसके गंभीर प्रतिकूल प्रभाव के मामले की डीसीजीआई ने जांच की है। भारतीय औषध महानियंत्रक की जांच में पता चला कि उसे दी गई कोरोना वैक्सीन की खुराक से उसकी शिकायत का कोई संबंध नहीं है। डीसीजीआई एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधर पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा है। समिति ने यह सुझाव दिया है कि कोरोना ह्यूमन ट्रायल में शामिल स्वयंसेवक को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
क्या था आरोप?
पिछले हफ्ते चेन्नई में वैक्सीन कोविशील्ड के तीसरे चरण की टेस्टिंग में 40 साल के एक स्वंयसेवक ने टीके की प्रायोगिक खुराक लेने के बाद गंभीर शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव का दावा किया था। उसने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पर आरोप लगाते हुए उससे पांच करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा था। साथ ही, परीक्षण रोकने की भी मांग की थी। हालांकि एसआईआई ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उसकी शिकायत को दुर्भावनापूर्ण बताया था और कहा था कि वह 100 करोड़ रुपए की मांग भी कर सकता है।
ये हैं साइड इफेक्ट
- विशेषज्ञ ह्यूमन ट्रायल के दौरान हल्के बुखार और अन्य साइड इफेक्ट की बात को स्वीकार करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार टीका लगने के बाद बुखार आना आम बात है।
- मॉडर्न वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल के दौरान एक शख्स को 102 डिग्री तक बुखार आ गया था। लेकिन बाद में उसका बुखार कम हो गया।
- वैक्सीन से लोगों के पाचन तंत्र पर असर होने की बात भी सामने आई है। मॉडर्ना के ट्रायल के दौरान एक व्यक्ति को उल्टी के साथ पेट में कुछ समस्या भी हुई थी।
- कुछ लोगों को ट्रायल के दौरान चक्कर आने की शिकायत भी मिली थी। इसे भी वैक्सीन का साइड इफेक्ट माना जा रहा है।
- एक वैक्सीन के ट्रायल के दौरान एक महिला ने माइग्रेन की शिकायत की थी। इसीलिए माना जा रहा है कि माइग्रेन भी इसका एक साइड इफेक्ट हो सकता है।
- वैक्सीन लगने के बाद उसके आस पास मांसपेशियों में दर्द या सूजन हो सकती है।
टीका निर्माताओं का दावा
वैक्सिन निर्माता की बेवसाइट पर कहा गया है,’हम सभी को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि जब तक टीका प्रतिरक्षक साबित नहीं होगा, तब तक इसे व्यापक स्तर पर उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाएगा।’
दिशानिर्देशों का पालन जरुरी
टीका ट्रायल के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि टीकाकरण का मतलब यह नहीं है कि हम सामान्य जीवन शैली अपनाने लगें। कोई भी टीका सौ फीसदी प्रभावी नहीं होता। वैज्ञानिक निरंतर सतर्कता की अपील करते रहे हैं। मास्क पहनना, हाथ धोना और सामाजिक दूरी जैसे कोरोना से बचाव के दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है।