भगवान बुद्ध की धरती कपिलवस्तु अब मुस्कुराएगी। बुद्ध की क्रीड़ास्थली पर एक बार फिर खुशियां आने वालीं हैं। वजह, कपिलवस्तु को लुंबिनी की तर्ज पर विकसित करने की कवायद तेज है। मंदिर और मठ बनाने के साथ यहां पर बौद्ध धर्मावलम्बी राष्ट्रों को स्तूप के पास खाली पड़ी 33 एकड़ जमीन लीज पर देने की तैयारी है। जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर केंद्र व प्रदेश सरकार सहमति भी दे चुके हैं।
तहसीलदार सदर राम ऋषि रमन ने बताया कि शासन से 13.317 हेक्टेयर (33 एकड़) भूमि खरीद को मंजूरी मिली है। कार्रवाई तेज है। कपिलवस्तु स्तूप के सामने खाली भूमि को चिन्हित किया गया है। अधिकांश भूमि काश्तकारों की है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में इनके साथ वार्ता की जा चुकी है।
बौद्ध देश करेंगे निवेश
बौद्ध देशों के निवेश के बाद इस क्षेत्र का विकास तेजी से होगा। जापान व कम्बोडिया दूतावास के अधिकारियों का एक दल जल्दी ही यहां का दौरा करने वाला है। वे यहां के भौगोलिक क्षेत्र और तैयारियों के मुताबिक होने वाले विकास का आंकलन करेंगे। इस काम को भी जल्दी ही शुरू कर दिया जायेगा। यहां पर्यटक स्थल के विकास के लिए भी योजना तैयार है। भूमि अधिग्रहण के लिए शासन स्तर पर फाइल काफी दिनों से लम्बित चल रही थी। कपिलवस्तु का विकास होने के बाद यहां विदेशी पर्यटकों की आमद तेज होगी। चिन्हित भूमि का ले-आउट भी तैयार है। इस कार्य में कपिलवस्तु विकास प्राधिकरण भी सहयोग करेगा। बता दें कि तहसीलदार सदर को भूमि अधिग्रहण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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यह है योजना
कपिलवस्तु में 16 मंदिर और पार्क बनाने की योजना है। कपिलवस्तु स्तूप के ठीक सामने की भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू है। यहां विभिन्न राष्ट्र के बौद्ध मंदिर बनेंगे। पहले चरण में 16 मंदिर व मठ बनेंगे। इनमें भगवान बुद्ध के बचपन से लेकर अंतिम समय तक के दृश्य परिलक्षित होंगे। इनके अलावा नक्शा के अनुसार भगवान बुद्ध के विभिन्न मुद्राओं के मंदिर, हर्बल पार्क, बच्चों केे खेलने के लिए पार्क, फूड प्लाजा, पार्किंग, सड़क आदि के लिए स्थान चिन्हित हुआ है। नक्शा के आधार पर पर्यटन स्थल का विकास होगा।
बौद्ध देशों से हो चुका है पत्राचार
जिला प्रशासनिक ने अपनी तैयारियां पुख्ता कर लिया है। बौद्ध देशों से पत्राचार कर लिया गया है। जापान, कम्बोडिया, थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों के दूतावास से पत्राचार का कार्य पूरा कर लिया गया है।
जिलाधिकारी संजीव रंजन का कहना है कि कपिलवस्तु के विकास की योजना तैयार है। मंदिर व पार्क बनाने को बौद्ध देशों को आमंत्रित किया गया है। पहले तैनात जिलाधिकारी के कार्यकाल में ही इन्हें निवेश करने के लिए आमंत्रण पत्र भेजा गया था। फिर, केंद्र से पत्राचार हुआ था। भूमि अधिग्रहण के संबंध में शासन से स्वीकृति मिली है। जल्दी ही बौद्ध देशों के दूतावासों का प्रतिनिधिमंडल दौरा कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद विकास योजना में आई तेजी
दरअसल, 16 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेपाल दौरे पर थे। वे लुंबिनी में करीब छह घंटे तक रहे। इसके बाद कपिलवस्तु के विकास योजना में तेजी आई। केंद्र से स्वीकृति मिलने के बाद प्रशासन ने कई राष्ट्र के दूतावास से पत्राचार किया। सारनाथ (वाराणसी), कुशीनगर, श्रावस्ती, लुंबिनी (नेपाल) के तर्ज पर बुद्ध के विभिन्न मुद्राओं के मंदिर बनाने के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए आमंत्रण दिया है। फिर, जिला प्रशासन ने इसका खाका तैयार किया। अब सुनियोजित योजना के तहत पर्यटन स्थल का स्वरूप विकसित करने की योजना है।