कनाडा के पीएम ने भारत में किसान आंदोलन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया जारी की थी। इसके बाद कनाडा में कई बड़े प्रदर्शन हुए। इस बीच कनाडा के एक राजनीतिज्ञ ने भारतीय वीज़ा कानूनों को धत्ता बताते हुए किसान आंदोलन में जाकर नेताओं से बातचीत की। इस पूरी घटना की डोर एक जगह से बंधी हुई है जिसके कारण कनाडा में भारतीय किसान आंदोलन के प्रति प्रेम उमड़ आया है।
कनाडा में इस समय लिबरल पार्टी की सरकार है। जिसके पास स्पष्ट बहुमत नहीं है। इस सरकार में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी सम्मिलित है। पिछले चुनावों में जस्टिन ट्रुड्यो की पार्टी को बहुमत के लिए 13 सीटें कम पड़ी थीं जिसके बाद जस्टिन ट्रुड्यो ने न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के जगमीत सिंह की पार्टी से समर्थन लिया।
कनाडा की सत्ता में सिखों पर सियासत
कनाडा में सिख वोट बैंक कुल जनसंख्या का 1.5 प्रतिशत है। इस वोट के लिए कनाडा में नेताओं का झुकाव जगजाहिर है। इसके अलावा 2019 के चुनावों में बहुमत से 13 सीटें कम प्राप्त करनेवाली लिबरल पार्टी को सरकार गठन के लिए बाहर से समर्थन की आवश्यकता थी। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुड्यो ने न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी की मदद ली। अब सरकार टिकाने के लिए न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के जगमीत सिंह की पसंद पर जस्टिन ट्रुड्यो का नाच सामान्य है। जून 2019 में जगमीत सिंह को हाउस ऑफ कॉमन्स से बाहर किये जाने का विरोध किया था। इन परिस्थितियों में सिखों के प्रति प्यार उड़ना स्वाभाविक है। जिसमें भारत विरोधी लोगों को मंच पर सजाने में जस्टिन कभी पीछे नहीं रहे हैं।
जगमीत का क्या है एजेंडा?
जगमीत सिंह धालीवाल 2017 से न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं। वो पेशे से वकील हैं लेकिन भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। जगमीत सिंह सिख फॉर जस्टिस के लिए कनाडा में काम करते रहे हैं। पंजाब को सिखों के लिए खालिस्तान देश बनाने का समर्थन करने के लिए यह समूह निरंतर भारत विरोधी अभियान छेड़े हुए हैं। इसी में से एक था सिख फॉर जस्टिस के अधीन ‘रेफेरेंडम 2020’ जो भारत सरकार के विरोध और कूटनीति के चलते हो नहीं पाया। अब किसान आंदोलन की आड़ में यह समूह अपनी खालिस्तानी सोंच को सींचने में लगा है।
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