संकट में यूक्रेन से लौटे मेडिकल स्टूडेंट का करियर, अभिभावकों ने सरकार से लगाई ये गुहार

यूक्रेन से सकुशल वासपी के बाद अब भारतीय विद्यार्थियों को अपने करियर की चिंता सताने लगी है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि उनकी आगे की पढ़ाई कैसे पूरी होगी।

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यूक्रेन युद्ध से बने हालातों से यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय छात्रों के कॅरियर पर संकट के बादल छाने लगे हैं। इस पर कोटा में यूक्रेन से लौटे छात्रों के अभिभावकों ने एक समिति का गठन कर इस समस्या के समाधान के लिए मंथन किया। अभिभावकों को चिंता इस बात की है कि उनके बच्चों की डिग्री की शेष पढाई कैसे और कहां से पूरी होगी। उन्होंने सरकार से बच्चों की पढ़ाई पूरी करने के लिए कमद उठाने की गुहार लगाई है।

8 मार्च को शिक्षा नगरी राजस्थान के कोटा में यूक्रेन से लौटे 20 से अधिक मेडिकल विद्यार्थियों के परेशान अभिभावकों ने गणेश उद्यान में आपात बैठक की। बैठक में एक अभिभावक समिति का गठन किया। समिति के अध्यक्ष दिवाकर जोशी, उपाध्यक्ष धमेंद्र टांक, महामंत्री राजेंद्र गोठानिया, संयोजक विष्णु प्रसाद शर्मा एवं संगठन मंत्री अखिलेश शर्मा नियुक्ति किये गये।

सकुशल वापसी के लिए सरकार को दिया धन्यवाद
समिति ने यूक्रेन में फंसे भारतीय मेडिकल विद्यार्थियों को उनके घरों तक सुरक्षित वापसी करवाने के लिये केंद्र एवं राज्य सरकार का आभार जताया। बैठक में अभिभावकों ने यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों से कम फीस पर एमबीबीएस कर रहे विद्यार्थियों की डिग्री अधूरी रह जाने पर चिंता जताते हुये केंद्र एवं राज्य सरकार से आग्रह किया कि भारतीय बच्चों को शेष पढाई भारत में पूरी करवाने के लिए व्यवस्था करवाने का प्रयास करें। जिससे छात्र भारत में रहकर अपनी सेवायें दे सकें। बैठक में मृतक भारतीय छात्र नवीन को श्रद्धाजंलि भी दी गई।

20 मार्च को बैठक
अभिभावक समिति के अध्यक्ष दिवाकर जोशी ने बताया कि आगामी 20 मार्च को दोपहर 2 बजे छात्र विलास उद्यान, नयापुरा में हाडौती के सभी प्रभावित बच्चों एवं उनके अभिभावकों को एक महत्वपूर्ण बैठक रखी गई है। इस बैठक में बच्चों के कॅरियर पर आए संकट एवं उनकी आगे की पढाई पर विचार-विमर्श किया जायेगा।

 विद्यार्थियों की पीड़ा
कोटा की मेडिकल छात्रा धृति जोशी ने बताया कि उसे नीट क्वालिफाई करने के बावजूद सामान्य वर्ग होने के कारण देश के मेडिकल कॉलेजों में सीट नहीं मिल सकी। यहां के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं। वह एमबीबीएस सेंकड ईयर की स्टूडेंट है और अपनी डिग्री भारत में रहकर पूरी करना चाहती है।

इनकी हुई वापसी
स्वदेश लौटे कोटा की रिशिका गोठानिया, स्वप्निल शर्मा, हर्षित आहूजा एमबीबीएस द्वितीय वर्ष, विशाल गुप्ता, आशीष नागर, अजय कुमार, यदुेंवेंद्र मालव, जय टाक, मुक्तिका वर्मा, इशिका गौतम चौथे वर्ष, नितिन चौधरी बीएसएमयू यूनिवर्सिटी, यूक्रेन में पांचवे वर्ष में अध्ययनरत हैं। इन सभी का दर्द है कि देश में नीट क्वालीफाई करने के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण के कारण कम अंक वालों को सीटें मिल जाती हैं।

निजी मेडिकल कॉलेजों में मनमाना फीस वसूलने का आरोप
देश के निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस वसूली पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होने से वे मनमानी करते हैं। छात्रों ने केंद्र सरकार में निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस के नाम पर लूट पर रोक लगानें के लिए कदम उठाने की मांग की है।

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