केंद्र सरकार ने 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता की रद्द, ये है वजह

केंद्र सरकार ने जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है, उनमें पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा? यह मुख्य प्रश्न है।

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हाल ही में 12वीं का परिणाम घोषित हुआ है। परिणाम के बाद कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई की तैयारी कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने देश के 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है।

मोदी सरकार ने देश के 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। इसके साथ ही कुल 150 मेडिकल कॉलेज केंद्र सरकार की निगरानी में हैं। अब जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई होने की संभावना है। जिन कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है, उनमें व्यवस्था में कई तरह की खामियां पाई गई हैं। उसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के यूजी बोर्ड ने यह जांच की थी। उसके बाद इन कॉलेजों की मान्यता रद्द करने का फैसला किया गया।

इस वजह से मान्यता रद्द
मेडिकल कॉलेज निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं और आयोग की जांच में सीसीटीवी कैमरों, आधार से जुड़ी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रक्रिया और फैकल्टी रोल से संबंधित कई खामियां पाई गई हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है।

इन कॉलेजों की मान्यता रद्द
केंद्र सरकार द्वारा जिन 40 कॉलेजों (मेडिकल कॉलेजों) की मान्यता रद्द की गई है, उनमें गुजरात, असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में स्थित हैं। साथ ही बाकी 150 मेडिकल कॉलेजों की जांच अभी चल रही है। केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि अगर जांच के दौरान इन कॉलेजों में गड़बड़ी पाई गई तो उनकी  भीमान्यता भी रद्द कर दी जाएगी।

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 पढ़ाई कर रहे छात्रों के भविष्य का सवाल
केंद्र सरकार ने जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है, उनमें पढ़ने वाले छात्रों का क्या होगा? यह मुख्य प्रश्न है। केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, केंद्र सरकार ने कॉलेजों के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में अपील करने का रास्ता खुला छोड़ दिया है। इसलिए जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है, अगर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग उन्हें राहत देता है, तो उन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि अगर इन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द करने के फैसले को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग कायम रखता है तो कॉलेजों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी, लेकिन तब केंद्र सरकार को उन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई के लिए कोई रास्ता निकालना होगा।

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