रेलवे आवागमन का बड़ा साधन है, इसलिए यहां बिछड़े भी बड़ी संख्या में आ जाते हैं। कई तो स्टेशन को ही अपना पड़ाव बना लेते हैं। ऐसे भटकते लोगों में बच्चों की संख्या भी होती है, जिनके लिए मध्य रेलवे के अंतर्गत रेलवे सुरक्षा बल एक मुहिम चलाती है। जिसका परिणाम पिछले 11 महीनों में इतना विशिष्ट रहा है कि, कोई भी कहेगा मध्य रेलवे को मान गए बॉस…
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने टिकट पर्यवेक्षक, जीआरपी, मध्य रेल के स्टेशन कर्मचारियों के साथ समन्वय बनाकर बिछड़े बच्चों की सूचना प्राप्त की, उन्हें संरक्षण दिया और उनके घर का पता पूछकर उन्हें परिवार से मिला दिया। जनवरी से नवंबर 2021 की अवधि में ट्रेन, रेलवे प्लेटफार्मों और रेलवे परिसर से ऐसे 864 बच्चों को बचाया गया है। इनमें 535 लड़के और 329 लड़कियां शामिल हैं, जो या तो अपने घर से भाग गए थे या खो गए थे। ये बच्चे ट्रेनों, रेलवे प्लेटफॉर्म और रेलवे परिसर में पाए गए थे, जिनको आरपीएफ द्वारा टिकट चेकिंग स्टाफ, शासकीय रेलवे पुलिस, चाइल्डलाइन एनजीओ और यात्रियों की मदद से बचाया गया।
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भागने का ये है बड़ा कारण
मध्य रेल मुंबई के जनसंपर्क विभाग के अनुसार, बचाए गए बच्चों में से अधिकांश संख्या उन बच्चों की है जो झगड़े या पारिवारिक समस्या या ग्लैमर की तलाश में अपने परिवार को बताए बिना रेलवे स्टेशन आ गए थे।
वाह रेलवे… इतने बच्चों को बचा लिया
मध्य रेल पर जनवरी से नवंबर 2021 तक बचाए गए बच्चों की संख्या
- मुंबई डिवीजन के 322 बच्चे (194 लड़के और 128 लड़कियां)
- पुणे डिवीजन के 306 बच्चे (212 लड़के और 94 लड़कियां)
- भुसावल डिवीजन के 128 बच्चे (77 लड़के और 51 लड़कियां)
- नागपुर डिवीजन के 66 बच्चे (28 लड़के और 38 लड़कियां)
- सोलापुर डिवीजन के 42 बच्चे (24 लड़के और 18 लड़कियां)