छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित क्षेत्र में नक्सलियों का मन बदल रहा है। ये प्रशासन की योजना का प्रभाव है कि नक्सलियों का कुनबा बिखर रहा है। राज्य में ‘लॉन वर्रातु’ के अंतर्गत अब तक 177 नक्सली मुख्य धारा में शामि हो चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवाद से देश लड़ रहा है तो छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्य नक्सली हिंसा के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा बल नक्सली आतंक को कुचलने के लिए 24 घंटे मुस्तैदी से लगे हुए हैं तो कई ऐसे अभियान भी प्रशासन चला रहा है जो नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में लौटाने का कार्य कर रहा है। इस एक अभियान का नाम है ‘लॉन वर्रातु’ जिसका अर्थ है अपने घर/गांव लौटो। इस अभियान के अंतर्गत अब तक 177 नक्सली छत्तीसगढ़ा में आत्म समर्पण कर चुके हैं। जिसमें से 27 नक्सलियों ने तो रविवार को ही समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए समर्पण किया है।
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जिन 27 नक्सलियों ने समर्पण किया है उनमें स 6 महिलाएं भी हैं। इन सभी ने दंतेवाड़ा जिले के बारसूर पुलिस थाने में पुलिस एवं सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें से 11 लोग गुफा गांव के रहने वाले हैं जबकि सात बेदमा, पांच मंगनार, तीन हितवाड़ा और एक हंदवाड़ा का रहने वाला है।
क्या है ‘लॉन वर्रातु’?
छत्तीसगढ़ की स्थानीय गोंडी भाषा में लॉन वर्रातु का अर्थ है ‘अपने गांव-घर लौट आना।’ ये नक्सलियों को आतंक की राह से समाज की मुख्य धारा में लौटने के लिए चलाया गया है। इसमें दंतेवाड़ा क्षेत्र के नक्सल प्रभावित 25 ऐसे गांवों को लिया गया है जहां पांच से अधिक इनामी नक्सली रहते हैं या उनका गांव है। दंतेवाड़ा जिले में लगभग दो सौ ऐसे नक्सली हैं जिनके सिर पर इनाम है।
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घर वापसी के लिए की जा रहीं कोशिशें…
* नक्सलियों की जानकारी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी को दी जा रही
* नक्सलियों के परिजनों से बातचीत करने की पहल की गई
* परिजनों के जरिये नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश
* सामान्य जीवन जीने के लिए समझाया जा रहा
* परिजनों के लिए सरकारी योजना के तहत आवासीय कालोनी के निर्माण की भी योजना