ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को नरसिंहपुर जिले के झौतेश्वर में स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में सोमवार शाम को हजारों लोगों की उपस्थिति में पूरे विधिविधान से समाधि दे दी गई। बड़ी संख्या में संत-महंतों के साथ धर्म क्षेत्र से जुड़े लोग और जनप्रतिनिधि इस मौके पर मौजूद रहे। अंतिम दर्शन करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी वहां पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। लोगों ने जय गुरुदेव के नारे लगाते हुए उन्हें अंतिम विदाई दी। इसी के साथ उनके उत्तराधिकारियों की भी घोषणा की गई।
समाधि देने से पहले उत्तराधिकारी के नाम घोषित
गौरतलब है कि शंकराचार्य दो पीठों के स्वामी थे। स्वामी स्वरूपानंद को समाधि देने से पहले उनके उत्तराधिकारी के नाम घोषित कर दिए गए। स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका शारदा पीठ और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ बद्रीनाथ का शंकराचार्य घोषित किया गया है। दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य स्वरूपानंद की पार्थिव देह के सामने की गई। इस घोषणा के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच समाधि दी गई। साधु-संतों ने रीति-रिवाज और धार्मिक कर्मकांड से समाधि संपन्न कराई। इससे पहले भजन कीर्तन के साथ उन्हें पालकी में बैठाकर समाधि स्थल तक लाया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में उनके शिष्य, अनुयायी और श्रद्धालु मौजूद रहे, जिन्होंने नम आंखों से अपने गुरुदेव को अंतिम विदाई दी। इस दौरान विशेष रूप से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, विधायक अजय विश्नोई, विधायक लखन घनघोरिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति मौजूद रहे।
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोपहर को परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर पहुंचे और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
मुख्यमंत्री ने किए अंतिम दर्शन
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि स्वामीजी सनातन धर्म के ध्वजवाहक और हमारी संस्कृति एवं जीवन मूल्यों के पोषक, योद्धा, संन्यासी थे। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई भी लड़ी। उन्होंने लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और गरीबों, जनजातियों, दलितों की सेवाओं के लिए अनेक प्रकल्प खड़े किए। वे उदभट विद्वान एवं अद्भुत सन्त थे। मुख्यमंत्री ने ब्रम्हलीन स्वामीजी के चरणों में प्रणाम करते हुए कहा कि वे सनातन धर्म के सूर्य थे। उनके जाने से प्रदेश सूना हो गया। उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने हमें जो राह दिखाई है, हम सभी उस पर चलने का विनम्र प्रयास करेंगे। इससे पहले उन्होंने ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान से करने के निर्देश जिला प्रशासन के अधिकारियों को दिए।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी का 11 सितंबर को अपरान्ह करीब साढ़े तीन बजे आश्रम में ही देहावसान हो गया था।
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