जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रमंडल देश चिंतित, मलेरिया भी चुनौती

ड़से अधिक आबादी वाले 54 देशों के समूह राष्ट्रमंडल में अधिकांश देश वे हैं, जिन पर कभी न कभी ब्रिटेन का शासन रहा है।

113

पूर्वी अफ्रीकी देश रवांडा में आयोजित राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन में नेताओं ने व्यापार से लेकर जलवायु और स्वास्थ्य जैसे विषयों पर चर्चा की। ये देश जलवायु परिवर्तन को लेकर सर्वाधिक चिंतित नजर आए, वहीं मलेरिया को चुनौती करार दिया गया।

250 करोड़ से अधिक आबादी वाले 54 देशों के समूह राष्ट्रमंडल में अधिकांश देश वे हैं, जिन पर कभी न कभी ब्रिटेन का शासन रहा है। अब ऐसे देशों के लिए भी राष्ट्रमंडल समूह के दरवाजे खुल रहे हैं। राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे ने कहा कि इस बैठक में ब्रिटिश साम्राज्य से संबंध न रखने वाले नए सदस्यों के बारे में सोचना हमारी पसंद को व्यक्त करता है। उल्लेखनीय है कि टोगो और गैबॉन के राष्ट्रमंडल में अपेक्षित प्रवेश के साथ देशों की संख्या बढ़ जाएगी। दोनों देशों ने ब्रिटेन के साथ कोई औपनिवेशिक इतिहास नहीं होने के बावजूद समूह में शामिल होने के लिए कहा है।

ये भी पढ़ें – अब पश्चिम बंगाल पुलिस ने खोला नूपुर शर्मा के विरूद्ध मोर्चा, होगी कार्रवाई?

उद्घाटन समारोह में 29 राष्ट्राध्यक्षों-शासनाध्यक्षों ने भाग लिया। भारत समेत न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य सदस्य देशों ने मंत्रियों या राजनयिकों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल भेजा। ब्रिटिश राजकुमार चार्ल्स अपनी 96 वर्षीय मां महारानी एलिजाबेथ का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो राष्ट्रमंडल की प्रमुख हैं। बैठक में जलवायु परिवर्तन एवं उससे उत्पन्न जटिलताओं से मिलकर निपटने का संकल्प लिया गया। तय हुआ कि कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला भी एक दूसरे के सहयोग से किया जाएगा। उष्णकटिबंधीय रोगों पर चर्चा के दौरान मलेरिया को एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर एक दूसरे की स्वास्थ्य चिंताओं को साझा किया गया। आपस में व्यापार पर भी व्यापक सहयोग का संकल्प व्यक्त किया गया।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.