जिन्होंने तपस्वी जीवन (Ascetic Life) जीते हुए भी अपार धार्मिक कार्य (Immense Religious Work) किए, जिन्होंने विभिन्न धर्मग्रंथों (Religious Scriptures) पर दशकों की भावपूर्ण टिप्पणियों के माध्यम से हिंदुओं (Hindus) की कई पीढ़ियों को शिक्षित किया, वे हैं प.पू. स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज (Swami Govind Devgiri Maharaj)। श्री राम मंदिर (Shri Ram Mandir) से सभी हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है, श्री राम मंदिर के कोषाध्यक्ष प.पू. स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज (Swami Govind Devgiri Maharaj) का अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav)। 14 फरवरी को मुंबई के दादर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak) पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) द्वारा प्रमाण पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया। अमृत महोत्सव के मौके पर मंच पर 5 गणमान्य व्यक्तियों ने स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज की तारीफ की।
इस अवसर पर विधान परिषद की उपाध्यक्ष विधायक नीलम गोरे, विधायक और भाजपा प्रवक्ता अतुल भातखळकर, भाजपा विधायक एडवोकेट आशीष शेलार, सांसद राहुल शेवाले, ‘सुदर्शन समाचार’ के संपादक सुरेश चव्हाणके, स्वतंत्र वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सावरकर और मंच पर हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे उपस्थित थे। कार्यक्रम में अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम का आयोजन स्वामीजी के भव्य एवं दिव्य कार्यों के प्रति कृतज्ञता स्वरूप ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ एवं ‘हिंदू जनजागृति समिति’ की ओर से किया गया था।
ऐसा था कार्यक्रम
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और राज्यगान ‘जय जय महाराष्ट्र माझा’ से हुई। फिर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने ‘सकल जगामध्ये छान, आमचे प्रियकर हिंदुस्तान’ गीत प्रस्तुत किया। फिर गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया। उसके बाद संतों का सम्मान किया गया और गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन किया गया, उसके बाद गणमान्य व्यक्तियों के भाषण हुए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान ‘वंदे मातरम’ के साथ हुआ।
‘मेक श्योर गांधी इज डेड’ पुस्तक का प्रकाशन
इस अवसर पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘मेक श्योर गांधी इज डेड’ का विमोचन गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। एक राजनीतिक धारा खत्म कर दी गयी और दूसरे परिवार को आगे ला दिया गया। तत्कालीन परिस्थितियों में उचित जांच नहीं हुई। जांच में कई जगह त्रुटियां सामने आईं। इसके पीछे क्या कारण थे? ऐसे अनेक भाग इस पुस्तक में लिखे गये हैं। रणजीत सावरकर ने कहा कि यह लेखन गहन शोध के बाद किया गया है।
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