विद्या भारती का पोर्टल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज, ये है कारण

इस समय देश भर में विद्या भारती के 25 हजार विद्यालय चल रहे हैं, जिसमें डेढ़ लाख आचार्य एवं आचार्या अध्यापन तथा 40 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं।

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विद्या भारती से सम्बद्ध भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश, काशी प्रांत द्वारा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर राजरूप पुर में माधव संकुल के आचार्यों एवं आचार्य बहनों का “राष्ट्रीय शिक्षा नीति“ विषय पर चल रहे दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का समापन हुआ। मुख्य अतिथि ने कहा कि विद्या भारती पूरे विश्व में स्वयंसेवी संगठन के रूप में प्रथम स्थान पर है।

मुख्य अतिथि विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री, काशी प्रांत डॉ. राम मनोहर ने “विद्या भारती का परिचय एवं विकास यात्रा तथा इसका लक्ष्य“ विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस समय देश भर में विद्या भारती के 25 हजार विद्यालय चल रहे हैं, जिसमें डेढ़ लाख आचार्य एवं आचार्या अध्यापन तथा 40 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 10 लाख से ज्यादा हमारे पूर्व छात्र पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो चुके हैं, जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया जा चुका है।

प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में माधव संकुल के प्रमुख डॉ. विंध्यवासिनी प्रसाद त्रिपाठी ने “शैक्षिक उन्नयन“ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा के उन्नयन के लिए ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अभ्युदय हुआ है। इसके पहले बहुत सारे आयोग आए, बहुत सी शिक्षा नीतियां आई लेकिन कारगर सिद्ध नहीं हुई।

द्वितीय सत्र में रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन, इंटर कॉलेज राजापुर के प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडेय ने “21वीं सदी का कौशल“ विषय पर विस्तार से बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाखों लोगों के मन की उपज है। जिसे समाज में लाने के लिए हम दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। हम सीखेंगे और सिखाएंगे भी, हम केवल सिखाने के लिए नहीं है सीखने के लिए भी हैं। उन्होंने बताया कि मन, बुद्धि और चित्त तक की यात्रा का कौशल विकसित करना है। हमारा ज्ञान केवल किताबी ज्ञान तक सीमित होकर रह गया है, हमें वैश्विक बनना पड़ेगा।

तृतीय सत्र में प्रधानाचार्य शिशु विद्या मंदिर राजरूपपुर वागीश मिश्रा ने “360 डिग्री एसेसमेंट“ विषय पर तार्किक ढंग से व्याख्या की। प्रशिक्षण के चौथे सत्र में मंत्री भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उप्र डॉ रघुराज सिंह ने “सर्वांगीण विकास“ विषय पर कहा कि हमारे आचार्यों की स्मरण शक्ति मजबूत हो, इस हेतु बार-बार कार्यशालाओं का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। हम जो कार्य करें उसका परिणाम दिखाई देना चाहिए। हमें मेधावी बच्चों का चयन करना चाहिए। क्योंकि मेधावी छात्र ज्ञान पिपासु होते हैं। उन्हें पाट्ठेयत्तर पुस्तकों का अध्ययन कराना होगा।

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प्रारंभ में विद्यालय की छात्राओं ने सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस अवसर पर क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय, ज्वाला देवी गंगापुरी के प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र, शिशु निकेतन कटघर के कमलेश मिश्र, सिरसा के स्वामीनाथ, मेजा रोड के कमलेश पांडेय सहित सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।

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