कोरोना ने बहुतों की जान ली और करोड़ो लोगों को संक्रमित किया। लेकिन इसने कुछ पुरानी मान्यताओं की तरफ भी इंसान को लौटा लाया है। इसका उल्लेख करते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि इसने हमे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया है तो पुरातन सभ्यता के अनुरूप लोकाचार की तरफ भी लौटाया लाया है।
दिल्ली में आईआईपीए का सत्र था। इसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कोरोना ने हमें वापस हमारे मूल भारतीय लोकाचार और अभ्यासों की ओर लौटने में सक्षम बनाया है और नमस्ते नये उत्साह के साथ प्रचलन में आ गया है। उन्होंने कहा, कोविड ने हमें एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरूक बनाया है और विश्व को भी सोशल डिस्टेंसिंग, सफाई, स्वच्छता, योग, आयुर्वेद एवं पारम्परिक औषधि आदि के गुणों के बारे में अवगत करा दिया।
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अब वे पहले की तुलना में और अधिक इस पर विश्वास करने लगे हैं और योग, आयुर्वेद इत्यादि के प्रति फिर से दिलचस्पी उत्पन्न हो गई है, जो हमेशा से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए महत्व का क्षेत्र रहा है। वह भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में ‘कल्याण के लिए आंतरिक अभियांत्रिकी-प्रौद्योगिकियां’ पर सद्गुरु के साथ एक सत्र को संबोधित कर रहे थे।
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इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से सम्मिलित सद्गुरु ने अपने संबोधन में कहा कि भारत हमेशा से बिना किसी कठोर आस्था प्रणाली के साथ संतों की भूमि रहा है। इसमें कभी भी जीत की संस्कृति नहीं रही, बल्कि हमेशा से यह अन्वेषण की भूमि रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने गणतंत्र के फलने-फूलने के लिए इस लोकाचार को अनिवार्य रूप से बनाए रखना चाहिए।
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