भारत में इस समय कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि महाराष्ट्र कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है। कई मरीजों का इलाज चल रहा है। इससे चिकित्सा उपयोग के लिए ऑक्सीजन की मांग में भारी वृद्धि हुई है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक राज्य को प्रतिदिन 270 से 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता हो रही थी, लेकिन वर्तमान में इसकी मांग बढ़कर 424 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने स्पष्ट किया है कि यदि महाराष्ट्र में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग बढ़ती है, तो लॉकडाउन के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। अब जिस रफ्तार से प्रदेश में ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र तेजी से लॉकडाउन की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, ऑक्सीजन की इस मांग को पूरा करने के लिए राज्य के पास पर्याप्त भंडार है, इसलिए ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। साथ ही पहली लहर जैसी स्थिति नहीं बनेगी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने दावा किया है।
मांग से कम उत्पादन
पहली और दूसरी लहरों के बीच उपचार करा रहे 10 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत थी। तब प्रतिदिन 850 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता होती थी, फिर मांग बढ़कर डेढ़ हजार मीट्रिक टन हो गई। इस कारण पहली लहर को दौरान ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई क्योंकि मांग की तुलना में ऑक्सीजन का उत्पादन कम हो गया। अप्रैल 2021 में दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन 1,600 से 1,800 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। हालांकि, बाद में ऑक्सीजन की मांग कम हो गई।
इसलिए बढ़ रही है मांग
पहले उपचार करा रहे 10 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत होती थी, लेकिन अब केवल 2 प्रतिशत लोगों को ही ऑक्सीजन की जरूरत है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसलिए इलाज करा रहे मरीजों के लिए ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ती जा रही है। इस स्थिति में संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार के पास लॉकडाउन जैसे कड़े प्रतिबंधों के आलावा कोई राह नहीं बचेगी।