Deccan College : डेक्कन कॉलेज के संस्थापक कौन थे?

भारत के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक डेक्कन कॉलेज का इतिहास बहुत समृद्ध है, जो देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है।

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Deccan College: 

भारत (India) के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक डेक्कन कॉलेज (Deccan College) का इतिहास बहुत समृद्ध है, जो देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है। 1821 में स्थापित इस संस्थान ने डेक्कन क्षेत्र में शिक्षा और छात्रवृत्ति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी स्थापना का श्रेय ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासक और मुंबई (Mumbai) के गवर्नर माउंटस्टुअर्ट एलफिंस्टन (Governor Mountstuart Elphinstone) को दिया जाता है। यह लेख डेक्कन कॉलेज की स्थापना, इतिहास और विरासत का पता लगाता है, जो इसकी शुरुआत से लेकर प्रमुखता तक की यात्रा पर प्रकाश डालता है। (Deccan College)

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1. संस्थापक: माउंटस्टुअर्ट एलफिंस्टन 
माउंटस्टुअर्ट एलफिंस्टन (1779-1859) एक प्रतिष्ठित ब्रिटिश प्रशासक और विद्वान थे, जिन्होंने 1819 से 1827 तक बॉम्बे के गवर्नर के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, एलफिंस्टन ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी में शिक्षा, शासन और बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना ​​था कि भारतीय जनता में बौद्धिक विकास, नैतिक विकास और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा आवश्यक है।
दक्कन क्षेत्र में उच्च शिक्षा और छात्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए एक संस्था की आवश्यकता को समझते हुए, एलफिंस्टन ने 1821 में पुणे (पूना) में हिंदू कॉलेज की स्थापना की पहल की। ​​इस संस्था का नाम बाद में डेक्कन कॉलेज रखा गया, जो इसके क्षेत्रीय महत्व को दर्शाता है। (Deccan College)
2. स्थापना का उद्देश्य
डेक्कन कॉलेज का प्राथमिक उद्देश्य भारतीयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था, विशेष रूप से अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे पश्चिमी शैली के विषयों में। यह शिक्षा को आधुनिक बनाने और यूरोपीय ज्ञान और प्रशासन में पारंगत भारतीयों का एक वर्ग बनाने के लिए एलफिंस्टन की व्यापक दृष्टि का हिस्सा था। उनका मानना ​​था कि यह शिक्षित वर्ग भारत के शासन, वाणिज्य और बौद्धिक विकास में योगदान दे सकता है।
कॉलेज का उद्देश्य पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों, भाषाओं और संस्कृतियों को संरक्षित और अध्ययन करना भी था, जिससे यह पश्चिमी और भारतीय सीखने की परंपराओं के बीच एक सेतु बन गया।

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3. परिवर्तन और विकास
– हिंदू कॉलेज के रूप में शुरुआती वर्ष: शुरू में पुणे के मध्य में स्थित, हिंदू कॉलेज (Hindu College)  को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें वित्तीय बाधाएँ और प्रशिक्षित शिक्षकों तक सीमित पहुँच शामिल थी। हालाँकि, इसकी नींव ने एक मजबूत शैक्षणिक संस्थान के लिए आधार तैयार किया।
– डेक्कन कॉलेज का नाम बदलना: 1851 में, कॉलेज को पुनर्जीवित किया गया और उस समय बॉम्बे के गवर्नर सर जॉर्ज क्लर्क के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा इसका नाम बदलकर डेक्कन कॉलेज कर दिया गया। इस पुनरुद्धार ने विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता के एक नए चरण को चिह्नित किया।
– स्थानांतरण: 1868 में, कॉलेज पुणे में यरवदा के पास अपने वर्तमान विशाल परिसर में चला गया, जिसे नव-गॉथिक स्थापत्य शैली में डिज़ाइन किया गया था। परिसर एक मील का पत्थर बना हुआ है, जो अपने शांत वातावरण और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। (Deccan College)
4. शिक्षा और शोध में योगदान
डेक्कन कॉलेज विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता का केंद्र बन गया, जिसने भारत के बौद्धिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया:
– भाषा विज्ञान और पुरातत्व: कॉलेज भाषा विज्ञान, संस्कृत अध्ययन और पुरातत्व में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है। बाद में स्थापित डेक्कन कॉलेज स्नातकोत्तर और शोध संस्थान पुरातात्विक अनुसंधान और भाषाई अध्ययन के लिए एक प्रमुख संस्थान बन गया।
– प्रतिष्ठित पूर्व छात्र: पिछले कुछ वर्षों में, कॉलेज ने स्वतंत्रता सेनानियों, विद्वानों और प्रशासकों सहित कई दिग्गजों को जन्म दिया है। उल्लेखनीय पूर्व छात्रों में बाल गंगाधर तिलक (स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक), गोपाल कृष्ण गोखले (राजनीतिक नेता और समाज सुधारक), और राम शास्त्री (प्रसिद्ध भाषाविद्) शामिल हैं।
– विरासत का संरक्षण: कॉलेज ने अपने शोध और शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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5. विरासत और आधुनिक भूमिका
आज, डेक्कन कॉलेज डेक्कन कॉलेज पोस्ट-ग्रेजुएट और रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में कार्य करता है, जो भाषा विज्ञान, पुरातत्व और ऐतिहासिक अध्ययनों में विशेषज्ञता रखता है। यह पारंपरिक भारतीय ज्ञान को आधुनिक शैक्षणिक विषयों के साथ मिलाकर अपने संस्थापक के दृष्टिकोण को बनाए रखता है। संस्थान को अपने शोध योगदान और अकादमिक कठोरता के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। (Deccan College)
6. माउंटस्टुअर्ट एलफिंस्टन का व्यापक प्रभाव
एलफिंस्टन के प्रयास केवल डेक्कन कॉलेज तक ही सीमित नहीं थे। उन्होंने बॉम्बे प्रेसीडेंसी में अन्य शैक्षिक पहलों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण अंततः मुंबई में एलफिंस्टन कॉलेज जैसे संस्थानों का निर्माण हुआ। शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने भारत में सीखने की एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और समावेशी प्रणाली की नींव रखी।
डेक्कन कॉलेज शिक्षा और शासन के प्रति माउंटस्टुअर्ट एलफिंस्टन के दूरदर्शी दृष्टिकोण का प्रमाण है। 1821 में स्थापित यह कॉलेज एक मामूली संस्थान से विकसित होकर विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त शिक्षण केंद्र बन गया है। शिक्षा, शोध और सांस्कृतिक संरक्षण में इसके योगदान ने भारत की शिक्षा पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

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