ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में दिल्ली की राखी सिंह सहित पांच महिलाओं की ओर से दाखिल वाद पर 12 सितंबर को जिला जज डाॅॅ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत फैसला सुनाएगी कि मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं। अदालत के फैसले पर वाराणसी ही नहीं पूरे देश के लोगों की निगाहें टिकी है।
अदालत के फैसले के बाद दोनों पक्ष वादी मंदिर पक्ष और प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष आगे की विधिक कार्रवाई की रूपरेखा तय करेंगे। फैसले को लेकर जिला न्यायालय परिसर में सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया है। कचहरी सहित पूरे शहर के संवदेनशील स्थानों पर फोर्स गश्त कर रही है। नगर में धारा 144 लागू किया गया है।
पक्ष में फैसला आने के लिए मंदिरों में पूजा पाठ
उधर, मंदिर पक्ष में फैसला आये इसके लिए विभिन्न संगठन के कार्यकर्ताओं नें सुबह मंदिरों में पूजा पाठ भी शुरू कर दिया। इसी क्रम में मैदागिन भारतेंदु पार्क में स्थित मंशापूर्ण हनुमान जी के समक्ष काशी विश्वनाथ आदि विश्वेश्वर महादेव के पक्ष में कोर्ट के फैसले के लिए लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। लोगों ने मंशापूर्ण हनुमान जी से प्रार्थना की जिला अदालत में जो काशी विश्वनाथ के मुकदमे में फैसला आये वह हिंदू सनातन धर्म के पक्ष में हो, जिससे हमारा आदि विश्वेश्वर महादेव के दर्शन पूजन एवं भोग आरती का रास्ता साफ हो सके। इसमें सुधीर सिंह, विजय कपूर, सुमित सर्राफ, संजय जायसवाल, डॉ मनोज यादव, रविंद्र अग्रहरि आदि शामिल रहें।
यह है मामला
बताते चलेंं कि, मुकदमें में वादी मंदिर पक्ष ने यह साबित करने की कोशिश की है कि मुकदमा सुनने योग्य है। वहीं, प्रतिवादी मस्जिद पक्ष के अधिवक्ताओं ने इसे स्थानीय अदालत में सुनने योग्य नहीं बताने का प्रयास किया है। पूरे प्रकरण में दोनों पक्ष की प्रमुख दलीलें, मंदिर पक्ष के प्रार्थना पत्र की प्रमुख बातें सुनने के बाद अदालत को फैसला सुनाना है। पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी सहित हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी है। इन महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत चाही थी।
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कोर्ट के आदेश पर किया गया था सर्वे
कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे भी किया गया था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वाैरा बताया था। 26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।