क्या है अरविंद केजरीवाल के नौकरी देने के दावे का सच? विस्थापित कश्मीरियों ने खोली पोल

कश्मीरी शिक्षक वर्षों से दिल्ली के सरकारी विद्यालय में अनियमित कर्मचारी के रूप में कार्यरत् थे। इन्हें नियमित करने के लिए लंबी न्यायालयीन लड़ाई चली।

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधान सभा के बजट सत्र में 12 लाख लोगों को नौकरी देने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने 233 कश्मीरी पंडितों को शिक्षक की नौकरी पर नियमित करने का दावा किया है, जिस पर विवाद हो गया है। कश्मीरी पंडितों के संगठन ने इसे मनगढ़ंत और झूठा बताते हुए दिल्ली सरकार के साथ चली अपनी न्यायालयीन लड़ाई का साक्ष्य दिया है।

गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन (माइग्रंट) रजिस्टर्ड ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कश्मीरी शिक्षकों को नौकरी देने के मुद्दे पर एक प्रेस नोट जारी किया है। इसमें संगठन ने कश्मीरी माइग्रेंट टीचर्स (केएमटी) को नौकरी देने के दावे की भर्त्सना की है।

दिल्ली सरकार करती रही विरोध
कश्मीरी माइग्रेंट टीचर्स (केएमटी) की संस्था गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन (माइग्रंट) रजिस्टर्ड ने न्यायालय में अपने और दिल्ली सरकार के बीच हुई लड़ाई की टाइम लाइन भी दी है।

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  • 6 जून, 2010 केएमटी दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचा
  • 18 मई, 2015 सिंगल बेंच ने केएमटी के पक्ष में निर्णय दिया, जिसके अनुसार केएमटी के शिक्षकों की नौकर पर नियमित करने का आदेश था।
  • दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच के इस निर्णय को डबल बेंच में चुनौती दी
  • 21 मई, 2018 में डबल बेंच ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार को केएमटी की नौकरी पर नियमित करने का आदेश दिया।
  • दिल्ली सरकार केएमटी को नौकरी पर नियमित करने का लगातार आश्वासन देती रही, परंतु उसने उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी
  • 26 अक्टूबर, 2018 सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को कायम रखते हुए, दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया
  • 23 जनवरी, 2019 को न्यायालय से हारने के बाद दिल्ली सरकार ने केएमटी को नौकरी में नियमित कर दिया

वो रंग बदलनेवाले गिरगिट

कोई चुनाव जीत जाए, इससे वह विश्वसनीय नहीं हो जाता। मैं उनके बारे में यही कहूंगा कि, वे रंग बदलनेवाले गिरगिट हैं। यदि उनका मन इतना ही साफ था, तो वे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में विरोध में क्यों लड़े। उन्हें न्यायालय की टाइम लाइन देखनी चाहिए। केएमटी को नौकरी पर नियमित न्यायालय के आदेश ने किया है। राज्य सरकार को तो इसे मानना ही था।
दिलिप भान – संयोजक, गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन (माइग्रंट) रजिस्टर्ड

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