दिल्ली वाकई दिलवालों की है। वहां एक महिला हेड कांस्टेबल के जज्बे और उसकी सफलता पर देश में चर्चा होती है उसे ‘सुपर कॉप’ कहकर ‘आउट ऑफ टर्न प्रमोशन’ दिया जाता है वहीं मुंबई पुलिस में बिछड़े बच्चों को मिलाने के लिए जिसके नाम पर ‘पांडे पैटर्न’ शुरू हुआ था उसके कंधे अब भी ‘सितारों’ से वंचित हैं। दिल्ली पुलिस ने अपनी हेड कांस्टेबल की मदद की, हौसला बढ़ाया और वो सुपर कॉप बनकर 76 बच्चों की मंजिल बन गई। जबकि मुंबई में 1200 बच्चों को ढूंढनेवाले शेर्लक होम्स पांडे जी को सम्मान तो मिला पर सितारा नहीं।
#SeemaDhaka Operation Milap makes @DelhiPolice proud @CPDelhi @pGurus1 @Swamy39 @ExSecular @pranavmahajan @MNageswarRaoIPS pic.twitter.com/okEB32F3Rn
— Cartoonist Akshay 🇮🇳 (@akshaychanders) November 20, 2020
‘मेरे लिए सबसे बड़ा आत्मबल वो खुशी है, जो एक मां को अपने गुम हुए बच्चे को देखकर मिलती है। इसकी तो किसी और खुशी से तुलना भी नहीं की जा सकती। कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो सालों बाद अपने परिवार से मिलते हैं। अच्छा लगता है, जब हम इनकी जिंदगी बचाने में अपनी भूमिका निभा पाते हैं।’
सीमा ढाका, हेड कांस्टेबल – दिल्ली पुलिस
ये वह शब्द हैं जिन्होंने 75 दिनों में 76 बच्चों को उनके परिजनों तक पहुंचाया है। इसमें जिसकी लगन, मेहनत लगी है उस अधिकारी का नाम है सीमा ढाका। एक मां, पत्नी और दिल्ली पुलिस की हौसला बुलंद अधिकारी। सीमा ढाका ने जिन 76 बच्चों को वापस घर लौटाया है उनमें से 56 बच्चों की आयु चौदह वर्ष से कम है। वे कहती हैं खोए हुए बच्चों के माता-पिता आकर कहते हैं हमारे बच्चों के ढूंढ दीजिये, हम आपका अहसान नहीं भूलेंगे। जब एक नाबालिग अपनी मां से मिलता है तो जो खुशी उस मां को होती है उससे कम हमें भी नहीं होती। दिल्ली पुलिस ने खोए हुए बच्चों का पता लगाने के लिए एक मुहिम शुरू की थी ‘ऑपरेशन मिलाप’। इसके लिए सीमा ढाका ने जब काम करना चाहा तो उन्हें पूरे पुलिस विभाग से समर्थन मिला।
Salute to Supercop.👮♀️
Woman head constable Seema Dhaka of Samaypur Badli receives out-of-turn promotion for tracing 76 missing children. pic.twitter.com/b5ZO3HNihA
— Awanish Sharan 🇮🇳 (@AwanishSharan) November 19, 2020
आंकड़ों को देखें तो राजधानी दिल्ली में साल 2019 में 5,412 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज हुई थी, इनमें से दिल्ली पुलिस ने 3,336 बच्चों को ढूंढ़ लिया। साल 2020 में अब तक लापता हुए 3,507 बच्चों में से 2,629 को दिल्ली पुलिस ने खोज लिया है। सीमा ने तीन महीने के अंतराल में 76 लापता बच्चों को खोजकर रिकॉर्ड बनाया है। ये काम उन्होंने कोरोना महामारी काल में किया है।
सीमा कहती हैं, ‘कोरोना के दौर में दिल्ली से बाहर जाकर बच्चों को खोजना चुनौती भरा था। दिल्ली-एनसीआर के अलावा बंगाल, बिहार और पंजाब में हमने बच्चों को खोजा।’
34 साल की सीमा साल 2006 में कांस्टेबल के तौर पर दिल्ली पुलिस में भर्ती हुई थीं। साल 2014 में वो पुलिस की आंतरिक परीक्षा पास करके हेड कांस्टेबल बन गईं। सीमा के पति भी दिल्ली पुलिस में ही हैं। सीमा की सफलता पर मिले आउट ऑफ टर्न प्रमोशन से अब वे असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर बन गई हैं।
“Solving missing persons’ cases, particularly those of #children, is for me a bigger priority than investigating a crime” says Hd Ct Rajesh Pandey 52 of Mumbai police with a record of 700 cases of missing children solved, on whom Mumbai police nods a film. https://t.co/EV7DzBscYu
— Ramesh Chandra (@amoli09) December 22, 2019
…और पांडे जी को प्रशासन ही भूल गया
जो दिलेरी दिल्ली पुलिस ने दिखाई वो मुंबई पुलिस अब तक नहीं दिखा पाई। मुंबई पुलिस के कांस्टेबल राजेश पांडेय 2011 में चर्चा में आए। इस वर्ष उन्होंने सोशल नेटवर्किंग की सहायता से कई बिछड़े बच्चों को ढूंढ निकाला। उस समय राजेश पांडे सांताक्रुझ पुलिस थाने में तैनात थे। इसके बाद गुमे बच्चों को ढूंढना राजेश पांडे का लक्ष्य हो गया। इस कार्य में उनकी सहायता दूसरे राज्यों की पुलिस भी लेने लगी है।
महाराष्ट्र पुलिस ने खोए बच्चों को ढूंढने के लिए ऑपरेशन मु्स्कान शुरू किया था। इसके अंतर्गत राजेश पांडे ने बड़ी सफलता अर्जित की। 2018 में हेड कांस्टेबल राजेश पांडे के कार्यों की सराहना खुद मुंबई पुलिस आयुक्त ने की और ‘पांडे पैटर्न’ की घोषणा करके खोए बच्चों का अभियान शुरू किया। अब तक 1200 बच्चों को परिजनों तक पहुंचानेवाले राजेश पांडे को कई सम्मान भी मिल चुके हैं। उन्हें पुलिस विभाग सम्मानित तो करता रहा है लेकिन दिल्ली पुलिस जैसी दिलेरी अभी तक नहीं दिखा पाया। मुंबई पुलिस के इस जांबाज सिपाही राजेश पांडेय को अपने पुलिस विभाग से कोई शिकायत नहीं है। लेकिन, 76 बच्चों को ढूंढनेवाली सीमा ढाका का आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देखने के बाद 1200 चुलबुलों को ढूंढनेवाले पांडे जी के कंधे पर भी कुछ सितारे सजें ये हक तो बनता ही है।
Join Our WhatsApp CommunityThey call him ‘Devdoot’: Mumbai Police Naik Rajesh Pandey has an enviable ‘zero missing persons’ recordhttps://t.co/lj8Lak3o7I
— The Indian Express (@IndianExpress) August 1, 2017