किसान आंदोलन : स्थानीय विरोध के जानें वो पांच कारण…

केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर चल रही राजनीतिक रस्साकसी सिंघु सीमा पर बसे लोगों के लिए अभिशाप बन गया है। इससे अंदाजन हजारों करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है।

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दिल्ली के सिंघु सीमा पर आंदोलन कर रहे किसान और स्थानीय लोगों के बीच बवाल बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों की मांग है कि सीमा क्षेत्र को आंदोलनकारी खाली करें। इससे उन्हें पिछले दो महीने से परेशानी हो रही है।

ये स्थानीय 25 जनवरी की रात तक सिंघु सीमा पर चल रहे आंदोलन को समर्थन दे रहे थे। लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली की सड़कों से लालकिले की प्राचीर तक जो उत्पात मचा, पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमले हुए, तिरंगे की अवमानना हुई उसने इन स्थानीय लोगों के मन को झकझोर दिया। उस पर किसान नेताओं की ऊटपटांग और उग्र करनेवाले बयानों ने स्थानीय लोगों के विरोध को प्रबल कर दिया। आखिर आंदोलन के विरोध में क्यों उतरे स्थानीय जानते हैं पांच प्रमुख कारण…

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1) सिंघु सीमा के पांच किलोमीटर के दायरे में आनेवाले नरेला, बख्तावरपुर, हमीरपुर, माजरा गांव समेत लगभग 60 गावों के लोगों का जीवनयापन फल, सब्जी और दूध के व्यवसाय पर निर्भर है। आंदोलन शुरू होने के बाद से दिल्ली की मंडी तक उनकी पैदावार नहीं पहुंच पा रही है। जबकि स्थानीय बाजार में कीमत नहीं मिल रही है।

2) किसान आंदोलन के कारण मुख्य सड़क बंद है। आंदोलनकारियों की भारी उपस्थिति और सुरक्षा बलों की तैनाती ने घर से निकलना या कहीं जाना मुश्किल कर दिया है। इसके कारण सिंघु सिमा के आसपास के गावों की शादी व आयोजन रद्द होने शुरू हो गए हैं।

3) सिंघु सीमा पर पांच किलोमीटर के दायरे के पेट्रोल पंप बंद पड़े हैं। जो खुले भी हैं उन पर ग्राहकों की आवक लगभग ना के बराबर है। इसके कारण पेट्रोल पंप के कर्मचारी कम कर दिये गए हैं।

4) ग्रैंड ट्रंक रोड या श्रीनगर-कन्याकुमारी राजमार्ग पर बड़ी संख्या में ट्रांसपोर्ट कंपनियां स्थित हैं। पिछले दो महीनों से जारी आंदोलन के कारण गाड़ियों की आवाजाही बदलनी पड़ी है, स्थानीय व्यापार ठप है। जिसके कारण ट्रांसपोटर्स को भारी क्षति हो रही है।

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5) राजमार्ग होने के कारण इस पर होटल उद्योग बड़ी संख्या में हैं। आंदोलन के कारण सिंघु सीमा पर भीड़ तो बहुत बढ़ी लेकिन ग्राहकी खत्म हो गई है।

  • होटल चलानेवाले ओपी राजपूत कहते हैं कि जब लोगों को लंगर में निशुल्क भोजन, नाश्ता, चाय मिल रहा है तो कोई क्यों हमारे होटल में आएगा
  • श्रीपाल शर्मा नामक शख्स का यहां होटल और सुरक्षा एजेंसी है। उन्होंने बताया कि मैं इस जगह के लिए मासिक 40 हजार रुपए का किराया भरता हूं। अब हमारे होटल और सुरक्षा एजेंसी में कोई नहीं आ रहा है। दस कर्मचारी हैं। यदि ऐसा रहा तो मैं ये धंधा ही बंद कर दूंगा।
  • सिंघु सीमा पर स्थित राजपुताना रेस्टारेंट की भी स्थिति बिगड़ी है। वे कोरोना के महामारी काल से भी अधिक बिगड़ी स्थिति में हैं। इसके मालिक कहते हैं हाईवे पर लोग ही लोग हैं पर हमारा होटल दो महीनों से खाली पड़ा है।

 

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