राज्य के कई डिपो में अपनी मांगों को लेकर एसटी कर्मी पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर हैं। राज्य सरकार ने कुछ मांगों पर कर्मचारियों की कृति समिति के साथ चर्चा करने पर सहमति जताई है और उनमें से कुछ पर दिवाली के बाद चर्चा करने का वादा किया है। यहां तक कि सरकार के इस रुख के बाद कर्मचारी कृति समिति ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी हड़ताल पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद कई डिपो में एसटी कर्मियों की हड़ताल जारी है।
इन पार्टियों का समर्थन प्राप्त
दिवाली के अवसर पर कई एसटी कर्मियों की हड़ताल के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के साथ ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। इन पार्टियों ने महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार से एसटी कर्मियों की मांगों को पूरा करने की मांग की है।
इसके बावजूद हड़ताल जारी
संघर्ष एसटी कामगार संगठन और महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ वेतन श्रेणी एसटी कर्मचारी संगठन ने एसटी निगम को नोटिस जारी कर 3 नवंबर की रात से हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। उस नोटिस को निगम ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में चुनौती दी। न्यायालय ने 4 नवंबर को सुबह एक अंतरिम आदेश जारी कर हड़ताल पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद राज्य में कई जगहों पर एसटी कर्मचारियों की हड़ताल जारी है।
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50 डिपो से नहीं निकली एक भी बस
राज्य में एसटी निगम के 250 डिपो हैं और हड़ताल के कारण 50 से अधिक डिपो में से एक भी एसटी बस नहीं निकली है। न्यायालय के आदेश के बाद भी एसटी कार्यकर्ताओ की हड़ताल जारी है और सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आखिर यह हड़ताल कब तक जारी रहेगी। बता दें कि आर्थित तंगी के कारण लगभग 28 एसटी कर्मियों ने आत्महत्या कर ली है। बताया जा रहा है कि एसटी निगम हड़ताली कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।