Mahakumbh: सनातन का दुनिया भर में बजा डंका, जानिये कितने देशों के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

अरैल परमार्थ निकेतन शिविर से अरैट घाट, संगम तट तक विश्व भर से आए श्रद्धालुओं ने एक मानव श्रृंखला बनाई, जो इस बात का प्रतीक है कि जब हम एकजुट होते हैं, तो दुनिया में कोई भी मुश्किल हमें तोड़ नहीं सकती।

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Mahakumbh: महाकुम्भ में अभी तक 25 देशों और पांच महाद्वीपों से श्रद्धालु(Devotees from 25 countries and five continents) आए हैं। उन्होंने परमार्थ निकेतन शिविर(Parmarth Niketan Camp) के स्वामी चिदानन्द सरस्वती(Swami Chidananda Saraswati) के सान्निध्य में संगम में 18 फरवरी को डुबकी लगाई। यह अद्वितीय दृश्य वैश्विक एकता, सद्भाव और समरसता का दिव्य दर्शन(Unique view A divine vision of global unity, harmony and harmony) करा रहा है। महाकुम्भ महापर्व में भारत और विदेश से आए श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।

हादसे के शिकार लोगों के मोक्ष की कामना
भारत में नाॅर्वे की राजदूत मे-एलिन स्टेनर और उनके पति तथा मैक्सिको के विख्यात पर्यावरणविद् अबुएलो एंटोनियो ऑक्सटे और पांच महाद्वीपों व 25 देशों से आये श्रद्धालुओं ने दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुये हादसे के शिकार लोगों को मोक्ष प्राप्त करने की कामना के साथ डुबकी लगाई। साथ ही भावाजंलि अर्पित की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जो लोग हादसे का शिकार हुए, वे दिव्य आत्मायें संगम में स्नान करने आयीं थी, परन्तु स्नान नही कर पायीं। इसलिये उनकी आत्मा की शान्ति, सद्गति के लिये डुबकी समर्पित हैं। प्रभु उन सभी दिव्यात्मों को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें तथा उनके परिवारजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति, धैर्य व सामथ्र्य प्रदान करें।

विश्व भर से आए श्रद्धालुओं ने बनाई मानव श्रृंखला
अरैल परमार्थ निकेतन शिविर से अरैट घाट, संगम तट तक विश्व भर से आए श्रद्धालुओं ने एक मानव श्रृंखला बनाई, जो इस बात का प्रतीक है कि जब हम एकजुट होते हैं, तो दुनिया में कोई भी मुश्किल हमें तोड़ नहीं सकती। यह मानव श्रृंखला न केवल सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, बल्कि यह विश्व की एकता, शांति और सद्भाव का संदेश भी पूरे विश्व को दे रही है। सभी श्रद्धालुओं ने एक साथ मिलकर संगम का संदेश दिया कि हम सभी का जीवन एक दूसरे से जुड़ा हुआ है, और हम सब एक ही पृथ्वी के नागरिक हैं।

सामूहिक प्रार्थना का अद्भुत दृश्य किया प्रस्तुत
उन्होंने बताया कि इस आयोजन में पांच महाद्वीपों से आए श्रद्धालुओं ने संगम में एकता और सामूहिक प्रार्थना का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु एक साथ खड़े होकर भारत की धरती पर एक अभूतपूर्व सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मिलन का हिस्सा बने। यह आयोजन न केवल धार्मिक है, बल्कि सांस्कृतिक विविधताओं को सम्मान देने वाला और वैश्विक एकता को प्रोत्साहित करने वाला है।

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वैश्विक परिवार की भावना
इस अवसर पर डॉ. ईशान शिवानंद ने कहा कि स्वामी जी के पावन सान्निध्य में आयोजित दिव्य स्नान और श्रद्धाजंलि प्रार्थना मानवता को समर्पित है। हम सभी एक परिवार हैं, और जब हम एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, तो हम विश्व को बेहतर बना सकते हैं। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हम सभी की संस्कृति, विश्वास और धर्म चाहे जो भी हो परन्तु हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम बनाए रखना चाहिए, क्योंकि मानवता का वास्तविक उद्देश्य एक दूसरे के साथ प्रेम और सहिष्णुता के साथ जीना है। संगम का यह पवित्र आयोजन न केवल श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि यह एक वैश्विक परिवार की भावना का भी प्रतीक है।

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