श्रावण मास के छठवें सोमवार की पूर्व संध्या पर बाबा विश्वनाथ के दरबार में ऐसा था दृश्य

मंदिर के गर्भगृह में मंगला आरती के बाद स्वर्णमंडित गर्भगृह के कपाट खुलते ही शुरू हुआ दर्शन-पूजन का सिलसिला अनवरत चलता रहा।

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श्रावण मास के रवि प्रदोष और 06वें सोमवार,14 अगस्त की पूर्व संध्या 13 अगस्त को श्री काशी विश्वनाथ के स्वर्णिम दरबार में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। अधिक मास के दूसरे प्रदोष को लेकर महिला श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह दिखा।

श्रद्धालुओं में व्रती महिलाओं की संख्या अधिक
मंदिर के गर्भगृह में मंगला आरती के बाद स्वर्णमंडित गर्भगृह के कपाट खुलते ही शुरू हुआ दर्शन-पूजन का सिलसिला अनवरत चलता रहा। मंदिर के गर्भगृह के बाहर से ही शिव भक्त बाबा का झांकी दर्शन पाकर आह्लादित दिखे। पावन ज्योर्तिलिंग पर जल चढ़ाने के लिए लोहे के पात्र लगाए गए है। इन पात्रों से होकर गंगाजल और पूजा सामग्री सीधे बाबा के ज्योर्तिलिंग तक पहुंच रही है। रवि प्रदोष में लोगों ने घरों में भी रूद्राभिषेक कर बाबा से सुखमय जीवन और वंशबेल में वृद्धि की कामना की। श्रद्धालुओं में व्रती महिलाओं की संख्या भी काफी रही।

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सनातन धर्म में रवि प्रदोष का काफी महत्व
गौरतलब हो कि अधिक मास में रवि प्रदोष का बड़ा महत्व सनातन धर्म में है। मान्यता है कि सावन मास में प्रदोष व्रत रखने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। पंचांगों के अनुसार श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 13 अगस्त की सुबह 08 बजकर 19 मिनट से हुआ। रवि प्रदोष तिथि सोमवार सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। खास बात यह रही कि रवि प्रदोष में सिद्धि योग शाम 04 बजे से शुरू हो गया। सुबह 08 बजकर 26 मिनट से पूर्ण रात्रि तक पुनर्वसु नक्षत्र भी है।

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