Mumbai: स्वास्थ्य साक्षरता एक सतत विषय है और ‘आयुर्वेद’ शाश्वत है। ‘मेरी आयुर्वेद चिकित्सा’ के विषय को बदलकर मैं ‘मेरी अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सा’ के विषय पर अधिक स्पष्टता से बात कर सकता हूं। मानव जीवन में पंचकर्म होता है। लेकिन आज आयुर्वेद का दुष्प्रचार किया जा रहा है। बीएएम एंड एस का आग्रह है कि कोई भी बिना अनुभव के या अपर्याप्त जानकारी के आधार पर आयुर्वेद के खिलाफ प्रचार न फैलाए। आयुर्वेदाचार्य वैद्य अरुण पाटील ने दर्शकों को आयुर्वेद के महत्व के बारे में बताया।
‘धन्वंतरि पूजा और व्याख्यान’ का आयोजन
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, आयुर्वेद विज्ञान बोर्ड, मुंबई और वैद्यराज विजन के सहयोग से 28 अक्टूबर को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज उद्यान के मादाम कामा सभागृह में ‘धन्वंतरि पूजा और व्याख्यान’ का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ‘सीसीआरएएस’ के संयुक्त निदेशक वैद्य गोविंद रेड्डी उपस्थित थे। साथ ही ‘मेरी आयुर्वेद चिकित्सा’ विषय पर बीएएम और एस आयुर्वेदाचार्य वैद्य अरुण पाटील का व्याख्यान आयोजित हुआ। आयुर्वेद के संस्थापक भगवान धन्वंतरि के जन्म के कारण धनत्रयोदशी को चिकित्सा समुदाय में धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाया जाता है।
ये रहे उपस्थित
इस कार्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, स्मारक के कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर, स्मारक के सह-कार्यवाहक और हिंदुस्थान पोस्ट के संपादक स्वप्निल सावरकर, आयुर्वेद विज्ञान बोर्ड के अध्यक्ष वैद्य सुभाष जोशी, वैद्य नंद ने भाग लिया। आयुर्वेद विज्ञान बोर्ड के कार्यकारी कुमार मुल्ये, आयुर्वेद विज्ञान बोर्ड के कोषाध्यक्ष वैद्य राजीव कानिटकर उपस्थित थे।
15 साल बाद आयुर्वेद के प्रति बदला नजरिया
इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वैद्य गोविंद रेड्डी ने कहा कि भारत के आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हर साल राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। इस पृष्ठभूमि में स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक पर यह कार्यक्रम सराहनीय था। 15 साल पहले आयुर्वेद के प्रति डॉक्टरों और आम लोगों का नजरिया अलग-अलग था, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। इसलिए भांडुप और खोपोली में आयुर्वेद आधारित अनुसंधान केंद्र शुरू हो रहा है।