भद्रराज मंदिर (Bhadraj Temple) उत्तराखंड (Uttarakhand) के मसूरी क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान भद्रराज (Lord Bhadraraj) को समर्पित है, जिन्हें भगवान बलराम (भगवान कृष्ण के बड़े भाई) का अवतार माना जाता है। यह मंदिर बेनोग पहाड़ी की चोटी (Hill Top) पर, लगभग 2,200 मीटर (7,217 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
भद्रराज मंदिर का महत्व
कृषि और पशुपालन के देवता
– भगवान भद्रराज को कृषि (Agriculture) और पशुधन (Livestock) का रक्षक माना जाता है।
– स्थानीय किसान और चरवाहे अच्छी फसल और मवेशियों की सुरक्षा के लिए उनकी पूजा करते हैं।
वार्षिक मेला
– हर साल ‘भद्रराज मेला’ आयोजित किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
– इस मेले में पारंपरिक नृत्य, गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
प्राकृतिक सुंदरता
– मंदिर से हिमालय पर्वत श्रृंखला और आसपास के घने जंगलों का सुंदर नजारा देखने को मिलता है।
– यह स्थान ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है।
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मंदिर की स्थापना
माना जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पहले बनाया गया था, और समय के साथ इसे श्रद्धालुओं द्वारा संवारकर आज तक जीवित रखा गया है।
भद्रराज मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
ऐसा माना जाता है कि भगवान भद्रराज इस क्षेत्र के रक्षक हैं और उन्होंने यहाँ तपस्या की थी। मंदिर में श्रद्धालु दूध, घी, और अन्य कृषि उपज चढ़ाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और मसूरी आने वाले पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कैसे पहुंचे?
मंदिर तक पहुंचने के लिए मसूरी से एक ट्रैकिंग मार्ग है, जो लगभग 6-7 किलोमीटर लंबा है। यह मार्ग घने जंगलों और सुरम्य पहाड़ियों से होकर गुजरता है। भद्रराज मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
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